नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक बार फिर निशाने पर आ गए हैं। ओली पर नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों समेत खुद उनकी पार्टी ने भी सवाल उठाए हैं।
ये पूरा विवाद केपी शर्मा ओली के भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल से मुलाकात को लेकर शुरू हुआ है। गोयल ने बुधवार को नेपाल का दौरा किया था और बंद कमरे में ओली से मुलाकात की थी।
नेपाल में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती दखलअंदाजी के बीच रॉ चीफ के नेपाली पीएम से मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। नेपाली सरकरा की ओर से हालांकि इसे केवल एक औपचारिक मुलाकात बताया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार अगले महीने भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को भी नेपाल के दौरे पर जाना है।
ओली की पार्टी ने भी उठाए हैं मुलाकात पर सवाल
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने ओली की इस मुलाकात को 'अनुचित' बताया है। प्रचंड नेपाल में सत्तारूढ़ नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के एक्जक्यूटिव चेयरमैन भी हैं। सूत्रों के अनुसार उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि उन पर पार्टी को एकजुट रखने की जिम्मेदारी है लेकिन ओली ने जिस तरह पार्टी को इस बारे में अंधेरे में रखा, उसे देखते हुए कड़ा कदम उठाया जा सकता है।
बता दें कि पीएम ओली ने हाल में भारत विरोधी अपने रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल को पद से हटा दिया है। फिलहाल उन्होंने यह विभाग अपने पास ही रखा है। ईश्वर पोखरेल कई बार भारतीय सेना के प्रमुख जनरल नरवणे की आलोचना कर चुके हैं।
नक्शों को लेकर भारत-नेपाल में विवाद
नेपाल ने हाल में एक विवादित नक्शा जारी किया था। इसी के बाद से दोनों देशों में तनाव दिखता रहा है। नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने नक्शे में शामिल कर लिया था। भारत ने इसे लेकर नाराजगी जताई थी।
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचूला के साथ लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था।
नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह उसके क्षेत्र से गुजरती है। इसके कुछ दिन बाद नेपाल एक नया नक्शा लेकर आया जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को उसने अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया।