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नाटो नेता शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान को सांकेतिक अलविदा कहेंगे

By भाषा | Updated: June 13, 2021 15:24 IST

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ब्रसेल्स, 13 जून (एपी) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके नाटो समकक्ष शिखर सम्मेलन में सोमवार को अफगानिस्तान को सांकेतिक रूप से अलविदा कहेंगे। अमेरिका वहां चले अपने सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर रहा है और अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुला रहा है।

यह बैठक नए सिरे से उन सवालों को खड़ा करेगी कि क्या नाटो के सबसे महत्वकांक्षी अभियान की कभी जरूरत भी थी।

ब्राउन विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 18 साल तक चले इस अभियान के लिए अकेले अमेरिका को 2,260 अरब डॉलर खर्च करने पड़े हैं और जनहानि के मामले में 2,442 अमेरिकी सैनिकों की तथा अमेरिका के सहयोगी देशों के 1,144 सुरक्षाकर्मियों की जान जा चुकी है। अभियान में मारे जाने वालों का नाटो कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है।

अभियान में हालांकि, अफगानिस्तान को इससे कहीं अधिक नुकसान हुआ है जहां 47,000 से ज्यादा आम नागरिक, राष्ट्रीय सशस्त्र बलों और पुलिस के करीब 69,000 सदस्य तथा करीब 51,000 विद्रोही लड़ाके मारे गए हैं।

अमेरिका नीत सैन्य गठबंधन द्वारा 2001 में यह सैन्य अभियान आतंकी संगठन अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को शरण देने के कारण तालिबान को सत्ता से दूर करने के लिए शुरू किया गया था। कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि इस अभियान से दीर्घकालिक स्थिरता, अर्थपूर्ण लोकतंत्र या सुरक्षा प्राप्त हुई।

‘कार्नेज एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में यूरोप कार्यक्रम के निदेशक एरिक ब्रैटबर्ग ने कहा, “इस समय, आपको आभास होगा कि नाटो नेता लगभग कम महत्व बताना चाहते हैं और इसे बड़ी बात बताने के बजाय चुपचाप निकल जाना चाहते हैं तथा अन्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने वाले हैं।”

सैनिकों की वापसी में अमेरिका के अगुआ होने के कारण, यूरोपीय सहयोगी और कनाडा बाइडन के विचार जानना चाहते हैं कि उनके दूतावासों में, बड़े परिवहन मार्गों पर और सबसे महत्त्वपूर्ण काबुल हवाईअड्डे पर सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।

कई को यह चिंता भी है कि अफगान सरकार तालिबान को फिर से सिर उठाने से रोक पाएगी या नहीं। वहीं कुछ का विचार है कि काबुल का संधिपत्र बस समय की बात है।

यूरोपीय केंद्रीय विदेश नीति प्रमुख जोसफ बोरेल ने कहा, “हम हमारी निरंतर कूटनीतिक उपस्थिति के लिए आवश्यक सुरक्षा स्थितियों की गैरमौजूदगी पर सदस्य राष्ट्रों, अमेरिका, नाटो और संयुक्त राष्ट्र के साथ गहन चर्चा कर रहे हैं।”

अभी के लिए, नाटो की योजना असैन्य सलाहकारों को सरकारी संस्थानों के निर्माण में मदद करने देने की है। यह साफ नहीं है कि उनकी सुरक्षा कौन करेगा। 30 राष्ट्रों का गठबंधन यह भी आकलन कर रहा है कि क्या देश के बाहर अफगान विशेष बलों को प्रशिक्षण देना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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