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रहस्यमय और हैरान कर देने वाले अंतरिक्ष के सारे ब्लैक होल काले नहीं होते

By भाषा | Updated: December 14, 2021 17:20 IST

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जेसिका थॉर्न, एस्ट्रोफिजिक्स पीएचडी अभ्यर्थी और सबाइन बेलस्टेड, एस्ट्रोनॉमी में रिसर्च एसोसिएट, द यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया

पर्थ, 14 दिसंबर (द कन्वरसेशन) जब सबसे बड़े तारे मरते हैं, तो वे ब्रह्मांड में ज्ञात कुछ सबसे घनी वस्तुओं में से एक ब्लैक होल के निर्माण के लिए खत्म हो जाते हैं। ये ब्रह्मांड में ‘‘सबसे गहरी’’ वस्तुएं हैं, इतनी गहरी कि प्रकाश भी उनके अविश्वसनीय रूप से मजबूत गुरुत्वाकर्षण से बच नहीं सकता है।

इस वजह से, सीधे ब्लैक होल की तस्वीर लेना असंभव है, जिससे वे रहस्यमय और काफी हैरान करने वाले बन जाते हैं। लेकिन हमारे नए शोध ने सबसे भयानक ब्लैक होल में से कुछ को खोजने का एक परीक्षण किया है, जिससे दूर आकाशगंगाओं के दिलों में गहरे दफन इन ब्लैक होल को ढूंढना आसान हो गया है।

नाम भले ब्लैक हो, लेकिन सभी ब्लैक होल ब्लैक नहीं होते हैं। जबकि ब्लैक होल कई अलग-अलग आकारों के होते हैं, सबसे बड़े आकाशगंगाओं के केंद्र में होते हैं, और अभी भी आकार में बढ़ रहे हैं।

इन ‘‘महाविशाल’’ ब्लैक होल का द्रव्यमान एक अरब सूर्य तक हो सकता है। हमारी अपनी आकाशगंगा के केंद्र में स्थित ब्लैक होल - जिसे सेजिटेरियस ए* कहा जाता है, जिसकी खोज को भौतिकी में 2020 का नोबेल पुरस्कार मिला - काफी शांत है। लेकिन सभी महाविशाल ब्लैक होल के साथ ऐसा नहीं है।

यदि गैस, धूल या तारे जैसे पदार्थ ब्लैक होल के बहुत करीब पहुंच जाते हैं, तो भारी गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा इन्हें ब्लैक होल अपनी तरफ खींच लेता है। जैसे ही यह ब्लैक होल की ओर गिरता है, यह गर्म हो जाता है और अविश्वसनीय रूप से चमकीला हो जाता है।

इन ‘‘उजले ब्लैक होल’’ से निकलने वाला प्रकाश एक्स-रे से लेकर रेडियो तरंगों तक पूरे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र तक फैल सकता है। आकाशगंगाओं के मध्य में स्थित इन चमकीले ब्लैक होल के लिए एक और नाम ‘‘एक्टिव गैलेक्टिक न्यूकली’’ या एजीएन है।

वे सूर्य की तुलना में खरबों गुना अधिक चमकीले हो सकते हैं, और कभी-कभी अपनी आकाशगंगा के सभी तारों से भी ज्यादा चमकीले हो सकते हैं।

सबसे चमकीला ब्लैक होल

कुछ एजीएन एक झटके के साथ हिंसक रूप से पदार्थ को उगलते हैं, जो अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर की यात्रा करता है और रेडियो दूरबीनों द्वारा इसे देखा जा सकता है। अन्य आकाशगंगा के केंद्र में ‘‘हवाएं’’ उत्पन्न करते हैं, जो आकाशगंगा से किसी भी गैस (सितारों के निर्माण के लिए आवश्यक ईंधन) को धकेलने में सक्षम हैं

आकाशगंगा के बीच में ऐसी विनाशकारी ताकतों के साथ, खगोलविदों को यकीन है कि इसका आकाशगंगा पर ही बड़ा प्रभाव पड़ेगा। हम जानते हैं कि अधिकांश आकाशगंगाएं धीरे-धीरे अपनी तारा निर्माण प्रक्रियाओं को बंद कर रही हैं, और एजीएन इसके कारणों में से एक हो सकता है।

इसलिए एजीएन न केवल मायावी ब्लैक होल को बेहतर ढंग से समझने में हमारी मदद कर सकता है, बल्कि उनका अध्ययन करने से हमें स्वयं आकाशगंगाओं के बारे में भी पता चलता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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