म्यांमार की अदालत ने रॉयटर्स के दो पत्रकारों को सुनाई 7 साल जेल की सजा, UN ने की तत्काल रिहा करने की माँग

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 3, 2018 10:29 AM2018-09-03T10:29:48+5:302018-09-03T10:47:16+5:30

रॉयटर्स के पत्रकार वाल लोन और क्याव सोए ऊ ने अदालत में ख़ुद को बेगुनाह बताया। म्यांमार के औपनिवेशिक दौर के सरकारी गोपनीयता कानून के तहत 14 साल जेल तक की सजा दी जा सकती है।

myanmar court sent reuters 2 journalist for 7 years prison un demand immediate release | म्यांमार की अदालत ने रॉयटर्स के दो पत्रकारों को सुनाई 7 साल जेल की सजा, UN ने की तत्काल रिहा करने की माँग

म्यांमार सरकार पर रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न का आरोप लगता रहा है। (फाइल फोटो)

म्यांमार की अदालत ने सोमवार (तीन सितम्बर) को समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो पत्रकारों को सात साल कारावास की सजा सुनाई। दोनों पत्रकारों पर आधिकारिक दस्तावेज रखने का आरोप था। दोनों पत्रकारों को गोपनीयता का कानून के तहत दोषी ठहराया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने दोनों पत्रकारों को तत्काल रिहा करने की माँग की है। 

म्यांमार सरकार पिछले कुछ सालों से रोहिंग्या अल्पसंख्यक मुसलमानों के दमन और उत्पीड़न को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के निशाने पर रहा है।

रॉयटर्स के पत्रकार वाल लोन और क्याव सोए ऊ ने अदालत में ख़ुद को बेगुनाह बताया। म्यांमार के औपनिवेशिक दौर के सरकारी गोपनीयता कानून के तहत 14 साल जेल तक की सजा दी जा सकती है।

दोनों पत्रकार पिछले साल रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकार के हनन से जुड़ी रिपोर्ट कर रहे थे।

पत्रकारों ने दावा किया है कि उन्हें पुलिस ने जबरदस्ती फँसाया है। म्यांमार में इस समय शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीत चुकी आंग सान सू की की पार्टी की सरकार है।

आंग साम सू की पार्टी ने साल 2016 में हुए चुनाव में जीत हासिल करके देश की बागडोर सम्भाली थी।

हिरासत में उत्पीड़न

32 वर्षीय लोन और 28 वर्षीय क्याव सोए के अनुसार पूछताछ के दौरान पुलिस ने उन्हें काफी प्रताड़ित किया। दोनों की कई जमानत याचिकाओं को अदालत ने रद्द कर दिया। 

करीब साथ लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में दमन और हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश में शरण लिये हुए हैं।

म्यांमार की सेना पर मानवाधिकार संगठनों ने रोहिंग्या मुसलानों के गाँवों में सामूहिक हत्या और उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। हालांकि म्यांमार सरकार इन आरोपों से इनकार करती है।

 गैर-सरकारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या उग्रवादी संगठनों ने हिंदुओं समेत अन्य धर्म के लोगों की सामूिक हत्या की और उनके घर जला दिये।



 

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