खसरा-कण्ठमाला-रूबेला (एमएआर) और टेटनस-डिप्थीरिया-पर्टुसिस (टीडीएपी) के टीके कोविड-19 के खिलाफ अधिक सुरक्षा और बीमारी की गंभीरता में कमी लाने से संबंधित हैं। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आयी है। अमेरिका में ब्रिघम एंड वीमेंस हास्पिटल के शोधकर्ताओं के अनुसार टीकों का डिजायन ‘मेमोरी टी और बी’ कोशिकाओं के निर्माण के जरिए मजबूत और लंबे समय तक बनी रहने वाली प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को दिए जाने वाले एमएमआर टीके और हर 10 साल में दिए जाने वाले टीडीएपी टीके से उन बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा होती है जिनके नाम पर टीके हैं। उन्होंने कहा कि यह संभव है कि इन टीकों से सार्स-सीओवी-2 में वायरल एंटीजन सहित अन्य रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं में मौजूद एंटीजन नामक प्रोटीन पर प्रतिक्रया में सक्षम ‘मेमोरी टी’ कोशिकाएं भी बन सकती हैं। मेड नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पहले से मौजूद मेमोरी टी कोशिकाएं एमएमआर या टीडीएपी टीकाकरण से उत्पन्न होती हैं और एसएआरएस-सीओवी -2 संक्रमण द्वारा सक्रिय हो जाती हैं । ये प्रतिरक्षा प्रणाली को तुरंत वायरस का जवाब देने के लिए सक्रिय कर देती हैं, जिससे गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है। शोधकर्ताओं ने एंटीजन पर ‘टी’ कोशिकाओं की प्रतिक्रिया का पता लगाने और उनकी पहचन करने के लिए संवेदनशील व नयी तकनीकों का उपयोग करके प्रयोगशाला-आधारित विश्लेषण किए।
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