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अफगानिस्तान में महिला अधिकारों के लिए अभी लड़नी होगी लंबी लड़ाई: सीमा समर

By भाषा | Updated: March 8, 2021 16:48 IST

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काबुल (अफगानिस्तान), आठ मार्च (एपी) अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के लिए पिछले 40 साल से संघर्ष कर रही जानी मानी कार्यकर्ता सीमा समर का मानना है कि उनका यह संघर्ष देश में बढ़ती हिंसा, विरोधी अफगान समूहों के बीच शांति वार्ता रुकने और अमेरिका के मई में अपने बलों को वापस बुलाने पर विचार करने के कारण अभी लंबा चलेगा।

सीमा (64) ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा।’’

सीमा और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे अन्य लोगों ने अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका के दूत जलमय खलीलजाद से पिछले सप्ताह ‘जूम कॉल’ के जरिए बात की थी और अमेरिकी दूत ने भरोसा दिलाया था कि अमेरिका तालिबान के जाने के बाद पिछले 20 साल में की गई प्रगति की रक्षा करने के लिए अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा रहेगा।

उन्होंने कहा कि जब अमेरिका नीत गठबंधन ने 2001 में तालिबान को सत्ता से बाहर किया था, तब उन्होंने मांग की थी कि पूर्ववर्ती शासन में अपराध करने वालों को सजा दी जानी चाहिए, उन्हें जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और समानता एवं न्याय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उन्होंने सचेत किया था कि 1990 के दशक में असैन्य युद्ध में भाग लेने वालों और काबुल को तबाह करने वालों को तालिबान के जाने के बाद प्रशासन में अहम भूमिकाएं नहीं दी जाएं।

सीमा ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रही कि किसी को जेल भेजो, लेकिन उन्हें कम से कम माफी तो मांगनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की संलिप्तता की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किए गए वादों को पूरा किया जाएगा और संघर्ष विराम पर स्वतंत्र रूप से नजर रखी जाएगी।

अफगानिस्तान के ‘इंडिपेंडेंट ह्यूमन राइट्स कमीशन’ ने कहा कि देश में पिछले साल महिलाओं के खिलाफ हिंसा की तिगुनी घटनाएं हुई हैं।

इस आयोग की स्थापना सीमा समर ने की थी। आयोग के प्रवक्ता जबीहुल्ला फरहांग ने कहा कि 2020 में निशाना बनाकर किए गए हमलों में 65 महिलाओं की मौत हो गई और 95 महिलाएं घायल हुईं।

इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अफगानिस्तान की उन छह महिलाओं को ‘इंटरनेशनल वीमेन ऑफ करेज’ पुरस्कार से सम्मानित किया, जिनकी पिछले साल हमलों में मौत हो गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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