लाइव न्यूज़ :

पाकिस्तान के दोहरे रुख से निपटने की अमेरिकी नीति की कमी अफगान संकट का कारण: अमेरिकी शीर्ष सीनेटर

By भाषा | Updated: August 18, 2021 12:50 IST

Open in App

अमेरिका के एक प्रभावशाली सीनेटर ने कहा है कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के अहम कारणों में से एक यह है कि अमेरिका के पास पाकिस्तान के दोहरे रुख से निपटने के लिए कोई प्रभावी नीति नहीं रही। पाकिस्तान पर तालिबान बागियों की मदद करने का आरोप है जिसके नतीजे में 20 साल सत्ता से बाहर रहने के बाद पूरे अफगानिस्तान पर उसका कब्जा हो गया। युद्धग्रस्त मुल्क में उभरते मानवीय संकट पर गहरी चिंता जताते हुए सीनेट की शक्तिशाली सशस्त्र सेवा समिति के प्रमुख सीनेटर जैक रीड ने मंगलवार को कहा, “ हम यहां कैसे पहुंचे, इसका कोई आसान जवाब नहीं है। मैं कहना चाहूंगा कि अफगानिस्तान की 20 साल की जंग में कई कारक हुए जिसका यह नतीजा है और उनपर हमें विचार करना चाहिए तथा आगे बढ़ना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इन कारकों में इराक में युद्ध में शामिल होना, पाकिस्तान के दोहरे रुख से निपटने के लिए कोई प्रभावी नीति नहीं होना, आतंकवाद रोधी मोर्चे पर नाकामी, अफगानिस्तान में प्रभावी सरकार बनाने और मजबूत सुरक्षा बलों को खड़ा करने में नाकामी शामिल है। डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर ने कहा कि इन सब नाकामियों में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किया गया दोहा समझौता भी जुड़ गया जिसमें अमेरिका को बहुत थोड़ी जीत मिली। अफगानिस्तान में लंबे वक्त तक चली लड़ाई रविवार को तब अहम मोड़ पर पहुंच गई जब तालिबान के लड़ाकों ने काबुल को घेर लिया और फिर शहर में घुस कर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। रीड ने कहा कि अफगान संकट डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी की समस्या नहीं है। उनके मुताबिक, यह दोनों पार्टियों के चार राष्ट्रपतियों के शासनकाल की विफलताएं हैं। उन्होंने कहा कि सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति इस बात पर सुनवाई करेगी कि अफगानिस्तान में क्या गलत हुआ और उससे क्या सबक सीखे गए ताकि आगे उन गलियों को दोहराने से बचा जा सके। इस बीच कांग्रेस के सदस्य माइक वाल्ट्ज़ ने मांग की कि अमेरिका पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर रोक लगाए। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान का साथ देने में चीन के तीन रणनीतिक लक्ष्य हैं। उनके मुताबिक इन लक्ष्यों में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के साथ साझेदारी करना, यह सुनिश्चित करना कि पश्चिमी चीन में तालिबान उइगरों के साथ सहयोग नहीं करे या उन्हें अफगानिस्तान में पनाह न मुहैया कराए और अफगानिस्तान में 1000 अरब डॉलर के खनिजों तक पहुंचना शामिल है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारRupee vs Dollar: अब तक के सबसे निचले स्तर पर रुपया, डॉलर के मुकाबले 28 पैसे टूटा; जानें कैसे उठेगा

विश्वएलन मस्क की चिंता और युद्ध की विभीषिका

विश्वTrump Health Report: व्हाइट हाइस ने जारी किया राष्ट्रपति ट्रंप का एमआरआई स्कैन, जानें हेल्थ रिपोर्ट में क्या आया सामने

विश्वअमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए दो तीखे लाल मिर्च..!

विश्वCalifornia: स्टॉकटन में भीषण गोलीबारी, 4 लोगों की मौत; 10 घायल

विश्व अधिक खबरें

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए