Iran Vs America: जानें ईरान व अमेरिका के बीच की लड़ाई का इतिहास, कैसे दुनिया के दो ताकतवर देश पहुंचे युद्ध के करीब!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 8, 2020 09:11 AM2020-01-08T09:11:21+5:302020-01-08T10:06:26+5:30
हाल के दिनों में अमेरिकी सैनिकों द्वारा इराक में एयर स्ट्राइक के जरिए शीर्ष ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराने के बाद अब एक बार फिर दोनों देश युद्ध के मुहान पर खड़े हो गए हैं। ऐसे में आइये युद्ध के इतिहास व वर्तमान परिदृश्य को समझने का प्रयास करते हैं।
अमेरिका व ईरान के बीच की लड़ाई दशकों पुरान है। दुनिया के इन दो ताकतवर देशों के बीच कभी संबंध बेहतर नहीं रहे हैं। हालांकि, बराक ओबामा जब अमेरिकी राष्ट्रपति बने तो उन्होंने परमाणु समझौता करके दोनों देशों के बीच की खाई को पाटने की दिशा में काम किया था, लेकिन ट्रंप ने सत्ता में आते ही इन समझौतों को तोड़कर व ईरान पर बैन लगाकर दोनों देशों के बीच सुधर रहे रिश्ते को एक बार फिर से खराब कर दिए।
हाल के दिनों में अमेरिकी सैनिकों द्वारा इराक में एयर स्ट्राइक के जरिए शीर्ष ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराने के बाद अब एक बार फिर दोनों देश युद्ध के मुहान पर खड़े हो गए हैं। ऐसे में आइये युद्ध के इतिहास व वर्तमान परिदृश्य को समझने का प्रयास करते हैं।
वर्तमान समय में युद्ध के उभार की मुख्य वजह
ईरान-अमेरिका के बीच ओबामा प्रशासन ने परमाणु समझौता किया था। जिसके बाद दुनिया के दो ताकतवर मुल्क के बीच युद्ध की संभावना कम हो गई थीं। लेकिन, ट्रंप ने समझौता से अलग होने की घोषणा की, इसके बाद ईरान पर अमेरिका ने कड़े प्रतिबंध लगाए। यहीं से शुरू हो गया दोनों देशों के बीच आपसी तकरार। इसके बाद ईरान ने भी अमेरिका से दूरी बनाने शुरू कर दिए। कहा जाता है कि ईरान ने इराक स्थित अमेरिकी दूतावास पर स्थानीय लोगों को भड़काकर प्रदर्शन के बहाने हमले कराए। इसमें हाल में मारे गए ईरानी सेना प्रमुख सुलेमानी के हाथ होनी की बात अमेरिका ने की थीं।
अमेरिकी सेना ने दूतावास हमले का लिया बदला
अमेरिकी सेना ने अपने दूतावास पर हुए हमले के बाद बगदाद एयपोर्ट पर हमला कर ईरानी सेना प्रमुख सुलेमानी को मार गिराया। जनरल कासिम सुलेमानी की मौत ने दुनिया की राजनीति में हलचल ला दी। कच्चे तेल की कीमतों में चार फीसदी इजाफा हो गया, शेयर मार्केट सहम गई। एक तरह से कहें तो हर क्षेत्र पर इसका असर पड़ा।
ईरान ने कहा कि जिनके हाथ कासिम सुलेमानी के खून से रंगे हुए हैं, उनसे बदला लिया जाएगा। ईरान ने तीन दिन तक शोक का ऐलान किया और कहा कि अमेरिका को उसके दुस्साहस का परिणाम भुगतना होगा।
दोनों देशों की तरफ से हमला जारी
बगदाद में अमेरिका ने लगातार दूसरे दिन हवाई हमला किया। इराक के पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज के काफिले पर शनिवार को उत्तरी बगदाद में हमला किया। इस हमले में कम से कम पांच की मौत होने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में इसका खंडन किया गया। वहीं, ईरान ने भी शनिवार को आश्चर्यजनक रूप से जंग की घोषणा करते हुए जामकरन मस्जिद के ऊपर लाल झंडा फहराकर ऐलान-ए-जंग कर दिया है।
इसके बाद ईरान ने बगदाद स्थित ग्रीन जोन स्थित अमेरिकी दूतावास में ताबड़तोड़ रॉकेट दागे। कुछ ही मिनटों में बलाड एयरबेस पर भी रॉकेट हमले की खबर आई। बुधवार को एक बार फिर अमेरिकी बेस पर ईरान ने रॉकेट से हमला किए। जिसकी पुष्टी पेंटागन ने भी की है।
दोनों देशों के बीच युद्ध के इतिहास को चार बड़े घटनाक्रमों से समझें
1953 में ईरानी सरकार की तख्तापलट -यहीं से दोनों देशों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हुई। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने ब्रिटेन के साथ मिलकर ईरान में तख्तापलट करवाया। निर्वाचित प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसाद्दिक को हटाकर ईरान के शाह रजा पहलवी के हाथ में सत्ता दे दी गई। इसकी मुख्य वजह था-तेल। मोसाद्दिक तेल के उद्योग का राष्ट्रीयकरण करना चाहते थे। लेकिन, अमेरिकी सरकार प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से यहां के अकूत तेल पर एकाधिकार करना चाहता था।
1979 में ईरान में अपने ही नेता के खिलाफ क्रांति - ईरान में एक नया नेता उभरा-आयतोल्लाह रुहोल्लाह ख़ुमैनी। आयतोल्लाह पश्चिमीकरण और अमेरिका पर ईरान की निर्भरता के सख्त खिलाफ थे। शाह पहलवी उनके निशाने पर थे। ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान में असंतोष उपजने लगा। शाह को ईरान छोड़ना पड़ा। 1 फरवरी 1979 को ख़ुमैनी निर्वासन से लौट आए।
1979-81 में अमेरिकी दूतावास को ईरान से समाप्त करना -ईरान और अमेरिका के राजनयिक संबंध खत्म हो चुके थे। तेहरान में ईरानी छात्रों ने अमेरिकी दूतावास को अपने कब्जे में ले लिया। 52 अमेरिकी नागरिकों को 444 दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया। 2012 में इस विषय पर हॉलीवुड फिल्म-आर्गो आई। इसी बीच इराक ने अमेरिका की मदद से ईरान पर हमला कर दिया। युद्ध आठ साल चला।
2015 में ओबामा सरकार के परमाणु समझौता को तोड़ना - ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते समय दोनों देशों के संबंध थोड़ा सुधरने शुरू हुए। ईरान के साथ परमाणु समझौता हुआ, जिसमें ईरान ने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने की बात की। इसके बदले उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दी गई थी। लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद यह समझौता रद्द कर दिया। दुश्मनी फिर शुरू हो गई।