घातक वायरस मारबर्ग से अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में 9 लोगों की मौत, तेजी से बढ़ रहे मरीज, WHO ने बुलाई बैठक
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 14, 2023 02:46 PM2023-02-14T14:46:57+5:302023-02-14T15:29:37+5:30
मारबर्ग वायरस के पहले भी मामले सामने आ चुके हैं। साल 1967 में इसके सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे। यह बहुत ही घातक वायरस होता है जिसकी चपेट में आने से मरीज की मौत निश्चित होती है। संक्रमितों के मृत्यु की दर 24 फीसद से 88 प्रतिशत तक रही है।
मलाबोः अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में 'मारबर्ग वायरस' से 9 लोगों की मौत के बाद इसकी गंभीरता को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) चिंतित है। WHO के मुताबिक, इस वायरस से 88 प्रतिशत मामलों में मरीज की मौत हो जाती है। इक्वेटोरियल गिनी के स्वास्थ्य मंत्री ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि एक प्रांत को क्वारंटीन में रखा गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते सरकार ने देश के मध्य पश्चिमी तट पर गैबॉन और कैमरून की सीमाओं के पास घने जंगलों वाले पूर्वी क्षेत्र में रक्तस्रावी बुखार के संदिग्ध मामलों के कारणों की जांच की थी। तब केवल तीन लोगों में ही इसके ‘हल्के लक्षण’ दिखाई दिए थे।
हालांकि इसकी चपेट में आने से 9 लोगों की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के परामर्श के बाद ‘लॉकडाउन योजना लागू’ के साथ की-एनटेम प्रांत और मोंगोमो के पड़ोसी जिले में स्वास्थ्य चेतावनी घोषित कर दी गई है। क्योंकि यहां 16 अन्य लोगों में बुखार और खून की उल्टी सहित संदिग्ध लक्षण दिखाई दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री मितोहा ओंडो’ओ अयाकाबा ने कहा कि 9 मौतें एक महीने के भीतर ( 7 जनवरी से 7 फरवरी) हुईं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 10 फरवरी को अस्पताल में एक ‘संदिग्ध’ मौत हुई है, लेकिन उसका परीक्षण किया जाना बाकी है।
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि इस वायरस से हैमरेज फीवर होता है और 88% मामलों में मौत हो जाती है। यह इबोला वायरस की फैमिली का वायरस है और इसमें अचानक बुखार चढ़ जाता है और तेज सिरदर्द व बेचैनी होती है। WHO की मानें तो कोरोना वायरस की तरह ही इसका ट्रांसमिशन एक से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है और यह स्किन टू स्किन टच के माध्यम से भी फैल सकता है। इक्वेटोरियल गिनी में नए पहचाने गए मारबर्ग प्रकोप की प्रस्तावित अनुसंधान प्राथमिकताओं की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक तत्काल बैठक बुलाई है।
मारबर्ग वायरस के पहले भी मामले सामने आ चुके हैं। साल 1967 में इसके सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे। यह बहुत ही घातक वायरस होता है जिसकी चपेट में आने से मरीज की मौत निश्चित होती है। संक्रमितों के मृत्यु की दर 24 फीसद से 88 प्रतिशत तक रही है।