सोलः उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की शक्तिशाली बहन किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी दी है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध लगातार खराब हो रहे हैं। साथ ही साथ सीमा पार से उत्तर कोरिया विरोधी गुब्बारों को रोकने में असमर्थता को लेकर भी किम यो जोंग खासी नाराज हैं, जिसको लेकर उन्होंने धमकी दे डाली है।
उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि यह निश्चित रूप से दक्षिण कोरियाई अधिकारियों हमला करना सबसे अच्छा समय है। हम जल्द ही अगली कार्रवाई करेंगे। किम यो जोंग की धमकी से साउथ कोरिया में हड़कंप जैसी स्थिति बन गई है और उसने उच्छ अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई है।
खबरों के अनुसार, किम यो जोंग ने कहा, 'सुप्रीम लीडर, हमारी पार्टी और देश की ओर से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मैं हथियारों के विभाग के प्रभारी को निर्देश देती हूं कि वे अगली कार्रवाई के रूप में शत्रु के खिलाफ जोरदार हमला करें।' साथ ही साथ उन्होंने आगे कहा कि दुश्मन के खिलाफ अगली कार्रवाई करने का अधिकार हमारी सेना के जनरल स्टाफ को दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि किस तरह की सैन्य कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर कोरियाः यह है पूरा मामला
आपको बता दें, वर्षों से दक्षिण कोरिया के कार्यकर्ता बड़े गुब्बारों में पर्चे लगा कर उत्तर कोरिया की तरफ भेजते हैं जिनमें उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के परमाणु कार्यक्रमों के लिए उनकी निंदा और देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र होता है। हालांकि, कभी-कभी इन पर्चों पर उत्तर कोरिया की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया मिलती है।
साल 2014 में इसी तरह की घटना के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई थी लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ था। योह का दावा है कि दो समूहों पर आरोप लगेंगे। इन समूहों का नेतृत्व उत्तर कोरिया से भागकर आए पार्क सांग-हाक और उनके भाई पार्क जुंग-ओह कर रहे थे। पार्क-सांग हाक वर्षों से प्योगयांग के खिलाफ अभियान चल रहा है। हालांकि इन दोनों समूहों ने बार-बार कॉल किए जाने पर भी कोई जवाब नहीं दिया है।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया को लेकर विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया का दक्षिण कोरिया के साथ सारे संपर्क माध्यमों को बंद करने का कदम सिर्फ इन पर्चों को लेकर नहीं है, बल्कि अमेरिका नीत प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और अंतर-कोरियाई आर्थिक परियोजनाओं को बहाल करने की दक्षिण कोरिया की अनिच्छा से महीनों से पैदा हुई निराशा भी इसकी एक बड़ी वजह है। उत्तर कोरिया इन परियोजनाओं से अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में नयी जान आने की उम्मीद करता है।