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यूक्रेन को क्लस्टर बम देने से जुड़ी चिंताएं जाहिर करने के बीच जो बाइडेन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात करेंगे

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 10, 2023 14:43 IST

यूक्रेन को खतरनाक क्लस्टर बम देने से जुड़ी चिंताएं जाहिर करने के बीच जो बाइडेन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात करेंगे। यूके और कनाडा उन देशों में से हैं जिन्होंने यूक्रेन में क्लस्टर बम भेजने के अमेरिका के फैसले पर चिंता व्यक्त की है।

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ठळक मुद्देमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ब्रिटेन पहुंचे हैंब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात करेंगेयूके ने यूक्रेन को खतरनाक क्लस्टर बम देने पर चिंता जाहिर की है

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस सप्ताह के अंत में लिथुआनिया में नाटो शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिटेन पहुंचे हैं। यूक्रेन को खतरनाक क्लस्टर बम देने से जुड़ी चिंताएं जाहिर करने के बीच जो बाइडेन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात करेंगे। यूके और कनाडा उन देशों में से हैं जिन्होंने  यूक्रेन में क्लस्टर बम भेजने के अमेरिका के फैसले पर चिंता व्यक्त की है।

क्लस्टर बम नागरिकों के लिए खतरे के कारण व्यापक रूप से प्रतिबंधित हैं। हालांकि अमेरिका का कहना है कि इनकी ज़रूरत इसलिए है क्योंकि यूक्रेन के हथियारों का भंडार घट रहा है। मुलाकात के दौरान दोनों नेता यूक्रेन में युद्ध सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

अमेरिका द्वारा यूक्रेन को क्लस्टर बम की घोषणा के बाद सुनक ने सीधे तौर पर अपने अमेरिकी समकक्ष की आलोचना नहीं की है लेकिन उन्होंने कहा कि यूके उन 123 देशों में से एक था, जिन्होंने क्लस्टर म्यूनिशंस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे, जो एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो हथियारों के उत्पादन या उपयोग पर प्रतिबंध लगाती है।

क्लस्टर बम असल में सैकड़ों छोटे-छोटे बमों का संग्रह होता है। जब इन बमों को दागा जाता है तब ये बीच रास्ते में फट कर बहुत बड़े इलाके को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे टारगेट के आसपास भी भारी नुकसान पहुंचता है। व्यापक तबाही का हथियार होने के कारण मानवाधिकार समूहों ने इस तरह के हथियारों का उपयोग बंद करने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है।

डबलिन में कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन नाम से साल 2008 में एक अतरराष्ट्रीय संधि की गई थी जिसमें 123 देशों ने क्लस्टर बम रखने, बेचने या इस्तेमाल करने पर रोक लगाने पर सहमत हुए थे। भारत, रूस, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और इस्राइल इस संधि का हिस्सा नहीं बने थे।

बता दें कि अमेरिका यूक्रेन को न सिर्फ रूस से लड़ने के लिए आर्थिक सहायता दे रहा है बल्कि सैन्य सहायता भी मुहैया करा रहा है। अमेरिका यूक्रेन को अपनी सबसे खास पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली भी दे चुका है। पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली को  दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। ये आसमान से आने वाले किसी भी खतरे को भांप सकती है। पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली से किसी भी मिसाइल और लड़ाकू विमान को हवा में ही मार गिराया जा सकता है। 

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