वाशिंगटन: अफगानिस्तान पर तालिबान के लगभग पूरी तरह से कब्जे के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वे अपने सैनिकों की वापसी के फैसले पर पूरी तरह अडिग हैं। भारतीय समय के अनुसार सोमवार देर रात उन्होंने अफगानिस्तान के हालात पर अपने 15 मिनट के भाषण में ये बात कही। उन्होंने कहा, 'मैं अमेरिका का राष्ट्रपति हूं और सारी चर्चा बस यहीं मेरे साथ खत्म हो जाती हैं।'
साथ ही बाइडन ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का ठीकरा अशरफ गनी और अफगान नेताओं पर भी फोड़ा। उन्होंने कहा कि अशरफ गनी ने देश को गृह युद्ध के लिए तैयार नहीं किया और कई जगहों पर सेना बिना लड़ाई के ही हार मान गई।
गौरतलब है कि अमेरिका के अचानक और बेहद जल्दबाजी में अपनी सेना अफगानिस्तान से निकालने के फैसले की दुनिया के कई देशों में आलोचना हो रही है। कई जानकारों का मानना है कि अमेरिकी सैनिकों के अचानक तेजी से वापसी कै फैसले की वजह से तालिबान को दोबारा सिर उठाने का मौका मिल गया।
जो बाइडन ने अपने भाषण में और क्या कहा, जानिए
- जो बाइडन ने कहा कि उनके पास दो ही विकल्प थे कि या तो वे पहले से तय समझौते के अनुसार अमेरिकी सैनिकों को वापस निकालते या फिर तीसरे दशक में भी युद्ध जारी रखने के लिए और हजारों सैनिकों को अफगानिस्तान भेजते।
- उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा तालिबान के साथ किया गया सौदा विरासत में मिला है। इसके अनुसार 1 मई के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की सुरक्षा के लिए कोई युद्धविराम या समझौता नहीं हुआ था।
- बाइडन ने साथ ही कहा कि वे इस संबंध में आलोचना अपने ऊपर लेंगे बजाय कि इस मुद्दे को वे पांचवें राष्ट्रपति के आने तक टाल दें। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिका 20 साल तक चले अपने सबसे लंबे युद्ध को विराम दे। ये देश के सही फैसला है।
- बाइडन ने साथ ही कहा कि अफगानिस्तान से आ रही तस्वीर बेहद दुख पहुंचाने वाली है लेकिन 20 साल बाद उन्हें यही लगता है कि ऐसे में अमेरिकी सेनाओं की वापसी का सही समय शायद कभी नहीं आता। बाइडन ने कहा कि अमेरिकी सेनाओं के और दिन रहने से भी वहां परिस्थिति में कोई खास अंतर नहीं आता।
- बाइडन ने कहा कि अफगानिस्तान के राजनेताओं ने समर्पण कर दिया और देश से भाग गए। अफगान सेना कई जगहों पर बिना लड़ाई किए हार मान गई।
- बाइडन ने कहा, 'हमने वहां ट्रिलियन डॉलर खर्च किए। हमने अफगानिस्तान को हर मौका दिया लेकिन लड़ाई की इच्छाशक्ति हम उन्हें नहीं दे सके।'
- बाइडन ने कहा कि अमेरिकी सेनाओं को उस युद्ध में नहीं मरना चाहिए जहां खुद अफगान सेना लड़ने की इच्छुक नहीं है। उन्होंने कहा, 'अमेरिकी बेटे बेटियों की और कितनी पीढ़ी अफगानिस्तान में अपनी जान गंवाती रहेगी।'