वाशिंगटनः जो बाइडन ने बुधवार को अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति और कमला हैरिस ने पहली महिला उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों को रोकने के लिए कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) के आसपास हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। डेमोक्रेटिक नेता बाइडन (78) को प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने कैपिटल बिल्डिंग के ‘वेस्ट फ्रंट’ में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। इस बार समारोह में कम लोगों को आमंत्रित किया गया है और नेशनल गार्ड के 25,000 से अधिक जवान सुरक्षा में तैनात हैं।
डोनाल्ड ट्रंप, बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए और अंतिम बार राष्ट्रपति के तौर पर व्हाइट हाउस से विदा लेते हुए विमान से फ्लोरिडा स्थित अपने स्थायी आवास ‘मार-आ-लागो एस्टेट’ के लिए रवाना हो गए। निवर्तमान उपराष्ट्रपति माइक पेंस समारोह में शामिल हुए हैं। बाइडन (78) अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति होंगे और हैरिस (56) देश की 49वीं उपराष्ट्रपति होंगी।
लोकतंत्र की जीत हुई है : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले भाषण में कहा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को शपथ ग्रहण करने के बाद अपने पहले भाषण में कहा कि लोकतंत्र की जीत हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन अमेरिका का है। यह लोकतंत्र का दिन है। यह इतिहास और आशा का दिन है।’’
बाइडन ने कहा, ‘‘आज हम एक उम्मीदवार की जीत का नहीं, बल्कि एक उद्देश्य की, लोकतंत्र के उद्देश्य की जीत का उत्सव मना रहे हैं।’’ देश के नए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जनता की इच्छाओं को सुना और समझा गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘श्वेतों को श्रेष्ठ मानने की मानसिकता, घरेलू आतंकवाद को हराएंगे। मैं चाहता हूं कि प्रत्येक अमेरिकी हमारी इस लड़ाई में शामिल हो।’’
अमेरिका इतिहास में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बाइडन ने अपने परिवार की 127 साल पुरानी बाइबिल पर हाथ रखकर पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसी बाइबिल पर हाथ रखकर उन्होंने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। बाइडन के शपथ लेने से पहले भारतीय मूल की कमला हैरिस ने ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
हैरिस अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति हैं। भारत के चेन्नई निवासी प्रवासी भारतीय की बेटी हैरिस (56) ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत एवं पहली एशियाई अमेरिकी भी हैं।
उनके पति 56 वर्षीय डगलस एमहोफ इसके साथ ही अमेरिका के पहले ‘सेकेंड जेंटलमैन’, अमेरिकी उपराष्ट्रपति के पहले पुरुष जीवनसाथी बन गए हैं। उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमेयर ने हैरिस को शपथ दिलाई। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति-बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन भी शामिल हुए। पूर्व प्रथम महिला-मिशेल ओबामा, लौरा बुश और हिलेरी क्लिंटन भी मौजूद थीं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन और बराक ओबामा समारोह में मौजूद रहे। कड़ी सुरक्षा के बीच अमेरिका में ये समारोह हो रहा है, करीब 25 हजार नेशनल गार्ड अमेरिकी राजधानी में तैनात किए गए हैं।
बाइडन और हैरिस शपथ से पहले गिरजाघर में प्रार्थना सभा में शामिल हुए
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस शपथ लेने के लिए कैपिटल हिल जाने से पहले अपने परिवार के सदस्यों के साथ यहां एक स्थानीय ऐतिहासिक गिरजाघर में एक प्रार्थना सभा में शामिल हुए। बाइडन और हैरिस ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ ‘द कैथेड्रल ऑफ सेंट मैथ्यू द एपोस्टल’ में आयोजित सामूहिक प्रार्थना सभा में भाग लिया।
उनके साथ कई नेता भी इसमें शामिल हुए। बाइडन की हस्तांतरण टीम के अनुसार निर्वाचित राष्ट्रपति ने एक नेवी सूट और नेवी ओवरकोट पहना हुआ था। दोनों को अमेरिकी डिजाइनर राल्फ लॉरेन ने डिजाइन किया है। टीम के अनुसार नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की पत्नी डा जिल बाइडन ने नीले रंग का कोट और ड्रेस पहनी हुई थी जिसे अमेरिकी डिजाइनर एलेक्जेंड्रा ओ नील ऑफ मार्कियन ने बनाया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री नामित ब्लींकेन की चीन पर सख्त टिप्पणी के बाद बीजिंग की सधी हुई प्रतिक्रिया
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा विदेश मंत्री नामित किये गये एंटनी ब्लींकेन के चीन के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करने पर बीजिंग ने बुधवार को सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह वाशिंगटन के साथ संघर्ष और टकराव टालने की कोशिश करेगा। दरअसल, ब्लींकेन ने चीन को अमेरिका के लिए एक बड़ा खतरा बताया था। ट्रंप प्रशासन का पटाक्षेप होने के बीच चीन ने राहत की सांस ली है और वह उम्मीद कर रहा है कि बीजिंग-वाशिंगटन संबंध का सबसे तनावपूर्ण दौर को अब कुछ अवधि के लिए विराम लग जाएगा।
चीनी अधिकारियों ने अमेरिकी सत्ता में निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पिछले चार साल के कार्यकाल को सर्वाधिक कठिन और ट्रंप को अब तक का अप्रत्याशित अमेरिकी नेता बताया है। ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन के साथ अमेरिका के संबंधों के सभी पहलुओं पर आक्रामक रुख रखा, जिनमें व्यापार युद्ध, विवादित दक्षिण चीच सागर पर चीन की सैन्य पकड़ को चुनौती देना, ताईवान को चीन की निरंतर धमकियों और कोरोना वायरस को ‘‘चाइना वायरस’’ नाम देना तथा शिंजियांग एवं तिब्बत के मुद्दे शामिल हैं।
ब्लींकेन, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की जगह लेने जा रहे हैं जो चीन के प्रति अपने सख्त रुख को लेकर जाने जाते हैं। ब्लींकेन ने चीन को अमेरिका के लिए एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा बताते हुए कहा है कि अमेरिका को इस चुनौती के खिलाफ मजबूत रुख दिखाने की जरूरत है, ना कि कमजोरी से पेश आने की जरूरत है।
अमेरिकी संसद के उच्च सदन, सीनेट की विदेश मामलों की समिति में ब्लींकेन द्वारा की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन संघर्ष एवं टकराव टालने के लिए प्रतिबद्ध है और परस्पर सहयोग जारी रखने की कोशिश करेगा।
हुआ ने कहा, ‘‘इसके साथ-साथ चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की भी हिफाजत करेगा।’’ शिंजियांग में उयगुर मुस्लिमों का चीन के नरसंहार करने के पोम्पियो के आरोपों को खारिज करते हुए हुआ ने कहा, ‘‘हम परस्पर लाभकारी सहयोग की अपेक्षा करेंगे, लेकिन अपने हितों एवं सुरक्षा को भी दृढ़ता से कायम रखेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि वे (अमेरिका) द्विपक्षीय संबंधों को सही राह पर लाने के लिए और हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए चीन के साथ मिल कर काम करेंगे। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने पिछले महीने किये गये एक सर्वेक्षण का हवाला दिया है, जिसमें बाइडेन प्रशासन से चीन के लोगों को सकारात्मक उम्मीदें होने की बात कही गई है।
(इनपुट एजेंसी)