कोलंबो: श्रीलंका में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश से भागने में मदद करने संबंधी खबरों को भारत ने खारिज किया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि गोटबाया को भगाने में भारत का हाथ है। हालांकि श्रीलंका में मौजूद भारतीय उच्चायोग ने दन सभी दावों और सोशल मीडिया पर आ रही खबरों को खारिज किया है।
दरअसल, पिछले कई महीनों से श्रीलंका में आर्थिक हालात खराब है। देश दिवालिया हो चुका है और लोग सड़कों पर हैं। इन घटनाक्रमों के बीच गोटबाया राजपक्षे मंगलवार देर रात श्रीलंका से निकल गए और मालदीव पहुंच गए हैं।
भारतीय उच्चायोग ने अटकलों को किया खारिज
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट करके कहा 'उच्चायोग आधारहीन और अटकलों पर आधारित मीडिया में आई उन खबरों को खारिज करता है जिनमे ये कहा जा रहा है कि भारत ने गोटाबाया राजपक्षे और बासिल राजपक्षे के श्रीलंका छोड़कर जाने में मदद की।'
उच्चायोग ने कहा, 'यह बार बार कहा गया है कि भारत श्रीलंका की जनता का समर्थन करता रहेगा क्योंकि वो समृद्धि की अपनी आकांक्षा को पूरा करना चाहते हैं। साथ ही लोकतांत्रिक तरीके और मूल्यों के जरिए प्रगति चाहते हैं और लोकतांत्रिक संस्थान और संवैधानिक ढांचा विकसित करना चाहते हैं।'
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बुधवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपनी पत्नी और दो बॉडीगार्ड के साथ देश छोड़ कर चले गए हैं। उन्हे रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद ही देश छोड़ने की इजाजत मिली थी।
राष्ट्रपति के भाई को देश छोड़ने से रोका
इससे पहले गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के पहले परिवार समेत खुद के लिए सुरक्षा मांगी थी। राष्ट्रपति पद पर बने रहने तक उन्हें गिरफ्तारी से छूट मिली हुई थी। वहीं, सोशल मीडिया पर श्रीलंका के प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने पद से इस्तीफ देने से इनकार करेंगे तो एक बार फिर से लोगों को कोलंबो बुलाया जाएगा।
गौरतलब है कि मंगलवार को राष्ट्रपति के भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने अमेरिका जाने की कोशिश की लेकिन कोलंबो के मुख्य हवाईअड्डे के वीवीआईपी लाउंज के जरिए उन्हें देश छोड़ने से रोक दिया गया।