इमरान खान बुरे फंसे, लाहौर हाईकोर्ट पीटीआई चीफ पद से हटाने वाली याचिका पर करेगा सुनवाई
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 2, 2022 10:21 PM2022-11-02T22:21:58+5:302022-11-02T22:27:15+5:30
इमरान खान के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें उन्हें पीटीआई चीफ के पद से हटाने की मांग की गई थी। लाहौर हाईकोर्ट इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है।
लाहौर: तोशाखाना विवाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। इसी विवाद से जुड़े एक मामले में इमरान खान के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में डाली गई याचिका कोर्ट द्वारा स्वीकार कर ली गई है और अब कोर्ट उस मामले में जल्द ही सुनवाई करेगा।
जानकारी के मुताबिक तोशाखाना विवाद में चुनाव आयोग द्वारा आयोग्य ठहराये जाने के बाद एडवोकेट मोहम्मद अफाक ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करके कोर्ट से मांग की है कि इमरान खान भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाये गये हैं और उन्हें चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित किया जा चुका है। लिहाजा उन्हें कोई अधिकार नहीं है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) की अगुवाई करें। इसलिए इमरान खान को उनकी पार्टी के प्रमुख पद से भी हटा दिया जाना चाहिए।
लाहौर हाईकोर्ट ने वकील मोहम्मद अफाक की इस याचिका पर गौर करते हुए उसे सुनवाई के लिए मंजूर लिया है। जानकारी के मुताबिक इस केस में जस्टिस मुहम्मद साजिद महमूद सेठी की बेंच गुरुवार को सुनवाई करेगी। एडवोकेट मोहम्मद अफाक द्वारा दायर याचिका न केवल इमरान खान को बल्कि युनाव आयोग को और पाकिस्तान की सरकार को भी प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया गया है।
वकील अफाक ने अपनी याचिका में तर्क पेश किया था कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1976 और राजनीतिक दल आदेश (पीपीओ) 2002 के अनुसार पार्टी के पदाधिकारियों के लिए संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के अनुसार योग्य होना कानूनी और आवश्यक संवैधानिक शर्त है। चूंकि इमरान खान को चुनाव आयोग ने तोशाखाना विवाद में दोषी पाते हुए एनए-95 निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें अयोग्य करार दिया है तो उन्हें पीटीआई अध्यक्ष के रूप में अयोग्य करार दिया जाना चाहिए और बाकायदा इसका आदेश भी कोर्ट द्वारा जारी किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि इमरान खान को चुनाव आयोग से अयोग्य घोषित होने के बाद पीटीआई चीफ के पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। मालूम हो कि बीते अक्टूबर में चुनाव आयोग ने तोशाखाना विवाद में पूर्व प्रधानमंत्री को अयोग्य करार देते हुआ उनका निर्वाचन रद्द कर दिया था। चुनाव आयोग का कहना था कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए मिले हुए उपहारों के बारे में "झूठे बयान और गलत जानकारी" पेश की थीं।
पाकिस्तान में तोशाखाना सरकार अधीन कैबिनेट डिवीजन का एक विभाग है, जो प्रधानमंत्री, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों के अलावा राज्यों के प्रमुखों को विदेशी व्यक्तियों द्वारा दिए गए कीमती उपहारों को इकट्ठा करता है। तोशाखाना नियमों के अनुसार, जिन पर भी तोशाखान के ये नियम लागू होते हैं, उन्हें विदेशों से प्राप्त उपहार या मिली हुई अन्य सामग्रियों की जानकारी तोशाखाना डिवीजन को देनी होती है।
इमरान खान पर आरोप था कि उन्होंने तोशखाना से रखे गए उपहारों के बारे में गलत और झूठी जानकारी दी। जिसके कारण चुनाव आयोग ने मामले में सुनवाई करते हुए इमरान खान को संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाया था।