लाइव न्यूज़ :

5,000 वर्ष से अधिक समय तक हिमालय की छाया में रहे हैं इनसान

By भाषा | Updated: June 3, 2021 19:38 IST

Open in App

जान-हेंड्रिक मे, मेलबर्न विश्वविद्यालय और ल्यूक ग्लिगैनिक, वोलोंगोंग विश्वविद्यालय

मेलबर्न, तीन जून (द कन्वरसेशन) दुनिया के कुछ हिस्से इंसानों की रिहायश के लिए दुर्गम प्रतीत होते हैं, जैसे हिमालय के पास तिब्बती पठार के ऊंचे इलाके। पुरातत्वविद लंबे समय से इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे पूर्वजों ने कब, कहां और कैसे इन स्थानों का पता लगाना और यहां रहना शुरू किया।

हालांकि पठार पर प्रारंभिक मानव उपस्थिति के साक्ष्य दुर्लभ हैं - और कुछ अवशेषों के समय का पता लगा पाना एक सतत चुनौती साबित हुई है।

हाल ही में विकसित डेटिंग तकनीक का उपयोग करते हुए, हमारी शोध टीम ने अब 5,000 साल पहले मध्य-दक्षिणी तिब्बती पठार पर मानव उपस्थिति का पहला ठोस सबूत तैयार किया है। हमारे निष्कर्ष आज साइंस एडवांस में प्रकाशित हुए हैं।

तिब्बत के शुष्क ऊंचे इलाकों को पृथ्वी के उन अंतिम क्षेत्रों में से एक माना जाता है जिन्हें मनुष्यों द्वारा बसाया गया है। आठ किलोमीटर से अधिक ऊँची हिमालय की चोटियों की छाया में क्षेत्र की ऊँचाई, यहां की स्थितियों को दुर्गम बनाती है।

इस सुदूर क्षेत्र में लोग कहाँ और कब आए, इस सवाल पर पुरातत्वविदों के बीच बहस चल रही है। खुली हवा में कई स्थानों पर किए गए शोध से कई बातें सामने आई। हमें पत्थर के औजारों के उपयोग या निर्माण के प्रचुर प्रमाण और सतह पर बिखरे चट्टानों के गुच्छे मिले।

ऐसे स्थलों को ‘‘लिथिक आर्टिफैक्ट स्कैटर’’ कहा जाता है। ये दुनिया में सबसे अधिक संरक्षित पुरातात्विक स्थलों में से हैं, और मानव बस्तियों की पद्धति के पुनर्निर्माण और मानव के पूर्व व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का पता लगाने में सक्षम हैं।

फिर भी इन स्थलों का पुरातात्विक महत्व और युगों की स्पष्ट रूप से व्याख्या करना अत्यंत कठिन रहा है। अधिकांश कलाकृतियों को पत्थर से बनाया जाता है, जिससे यह निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है कि उपकरण कब बनाए गए थे।

सतह पर मौजूद कलाकृतियाँ, सैकड़ों या हजारों वर्ष पहले इनसान के हाथों बनाई गई थीं, जो अब क्षरण की अवस्था में हैं और इन पर हवा और पानी की गति का प्रभाव भी दिखाई देता है। नतीजतन, वे अक्सर ‘‘संदर्भ से बाहर’’ पाई जाती हैं इसलिए उनके और उनके आसपास के तत्कालीन परिवेश के बीच एक स्पष्ट संबंध नहीं बनाया जा सकता

नई तकनीकों का विकास

इस सीमा को पार करने के लिए, हमारी टीम ने इंसब्रुक विश्वविद्यालय में माइकल मेयर के नेतृत्व में ऑस्ट्रिया में इन्सब्रुक ओएसएल (ऑप्टिकली-स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस) डेटिंग प्रयोगशाला में पिछले कई साल बिताए और प्राचीन पत्थर के औजारों के समय का पता लगाने के लिए एक नयी तकनीक विकसित की।

ओएसएल डेटिंग पुरातत्व और पृथ्वी विज्ञान में मुख्य डेटिंग विधियों में से एक बन गई है। यह रेत के दानों की क्रिस्टल संरचना में ऊर्जा के संचय पर आधारित है।

जब अनाज को दिन के उजाले से परिरक्षित किया जाता है, जैसे कि जब उन्हें जमीन के नीचे रखा जाता है, तो उनका क्रिस्टल आसपास की चट्टानों और तलछट से निम्न-स्तर के विकिरण के कारण ऊर्जा जमा करता है।

इसके बाद इसे नीले और हरे रंग के प्रकाश के नियंत्रित संपर्क के माध्यम से प्रयोगशाला में मापा जा सकता है, जो ऊर्जा को ‘‘प्रकाश संकेत’’ के रूप में जारी करता है। अनाज को जितनी देर तक जमीन के नीचे दबाया गया होगा, उतनी ही अधिक चमक हम उनसे मापेंगे।

अपने शोध के लिए रेत को देखने के बजाय, हमने चट्टान की सतह के जरिए किसी वस्तु के अस्तित्व के समय का पता लगाने की एक नयी तकनीक अपनाई। यह खुले स्थल पर चट्टानी कलाकृतियों की सतह के नीचे संग्रहीत सिग्नल पर ध्यान केंद्रित करने वाला पहला तरीका है।

एक चट्टान के भीतर निर्मित ल्यूमिनेसेंस सिग्नल लगभग असीम रूप से उच्च होता है, क्योंकि भूगर्भीय प्रक्रियाओं द्वारा चट्टान के बनने के बाद से बहुत लंबा अर्सा बीत चुका होता है।

हालांकि, एक बार जब एक चट्टान की सतह दिन के उजाले के संपर्क में आती है, जैसे कि जब पहली बार किसी आर्टिफैक्ट का उपयोग किया जाता है, तो सतह पर और नीचे (लेकिन केंद्र में नहीं) ल्यूमिनेसेंस सिग्नल मिट जाता है। सिग्नल का क्षरण सतह पर सबसे मजबूत होता है और आर्टिफैक्ट के केंद्र की ओर कम हो जाता है।

जब उसी कलाकृति को उजाले से दूर कर दिया जाता है तो नीचे से, या तलछट से ढके होने से - संकेत फिर से बनना शुरू हो जाते हैं। इससे आर्टिफैक्ट की सतह के नीचे विभिन्न गहराई पर पाए जाने वाले सिग्नल तीव्रता के स्तरों के माध्यम से हम एक पत्थर की कलाकृति की समग्र आयु और इतिहास पता कर सकते हैं।

माउंट एवरेस्ट की छाया में 5,000 साल

ओएसएल का उपयोग करने के इस नए तरीके की बड़ी क्षमता को पिछले पुरातात्विक और भूवैज्ञानिक संदर्भों में दिखाया गया था, लेकिन आर्टिफैक्ट स्कैटर साइटों पर गहराई से परीक्षण नहीं किया गया था।

मेरेड में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अनुभवी पुरातत्वविद् मार्क एल्डेंडरफर के साथ, और इन्सब्रुक के खनिज विज्ञानी पीटर ट्रॉपर के सहयोग से, हम दक्षिण तिब्बत में सु-रे के लिथिक आर्टिफैक्ट स्कैटर साइट पर इस आशाजनक विधि की उपयुक्तता का परीक्षण करने के लिए निकल पड़े।

4,450 मीटर की ऊंचाई पर, दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों से उतरती एक बड़ी घाटी में - माउंट एवरेस्ट और चो'ओयू - सु-रे दशकों से विविध सतह कलाकृतियों के घने संचय के लिए जाना जाता था। इसने मनुष्यों द्वारा साइट के उपयोग का एक लंबा इतिहास सुझाया। लेकिन सवाल फिर यही था कि कब तक?

कलाकृतियों की उम्र का पता लगाने के लिए हमने अपने डेटिंग दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, सु-रे स्थल पर पाई गई सबसे पुरानी कलाकृतियों को 5,200 और 5,500 वर्ष के बीच पुराना पाया। वहां मिले उपकरण संभवतः उस स्थान पर उत्खनन गतिविधियों से संबंधित थे।

मध्य और दक्षिणपूर्वी तिब्बत में कुछ पुराने स्थलों की खोज की गई है, लेकिन हमारे प्रयोग से मिले आंकड़ों ने सु-रे को उच्च हिमालय के पास मध्य-दक्षिणी तिब्बती पठार में सबसे पुराना सुरक्षित स्थल बना दिया है।

सु-रे की ‘‘नांगपा ला’’ पर्वत दर्रे से निकटता को देखते हुए यह खोज विशेष रूप से रोमांचक है। यह दर्रा ऐतिहासिक रूप से उच्चभूमि के स्थानीय तिब्बतियों को हिमालयी घाटियों और निचले इलाकों के नेपाली शेरपाओं के साथ जोड़ता है।

सतह पर मौजूद कलाकृतियों का विश्लेषण करने के हमारे इस नए प्रयोग से पुरातात्विक प्रयासों के लिए एक नये सफर की शुरूआत होगी। भविष्य में यह दुनिया भर में लिथिक आर्टिफैक्ट साइटों के रहस्यों को उजागर करने में मदद कर सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टदिसंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच 7वीं कक्षा की छात्रा से कई महीने तक बलात्कार, 15 वर्षीय पीड़िता ने बच्चे को दिया जन्म, 34 वर्षीय आरोपी राजेश अरेस्ट

क्रिकेटIND W vs SL W 1st T20I: विश्व विजेता टीम ने जीत से की शुरुआत, श्रीलंका को 32 गेंद रहते 08 विकेट से हराकर 05 मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त ली, स्मृति मंधाना के 4000 रन पूरे

पूजा पाठPanchang 22 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

भारतश्रीनिवास रामानुजन जयंती: गौरवशाली गणित परंपरा की नजीर

भारतमहाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव 2025ः ‘ट्रिपल इंजन’ के बाद से आम आदमी की बढ़ती अपेक्षाएं'

विश्व अधिक खबरें

विश्वBangladesh Violence: भारत के खिलाफ बांग्लादेश में षड्यंत्र

विश्वVIDEO: दीपू चंद्र दास की लिंचिंग के बाद, बांग्लादेश में 'कलावा' पहनने पर एक हिंदू रिक्शा चालक पर भीड़ ने किया हमला

विश्वक्रिसमस के 4 दिन पहले गोलियों की बौछार?, ‘क्वानोक्सोलो’ पब में अंधाधुंध गोलीबारी, 12 बंदूकधारियों ने 9 को भूना और 10 की हालत गंभीर

विश्वBangladesh: हिंदू युवक की हत्या मामले में बांग्लादेशी सरकार का एक्शन, 10 आरोपी गिरफ्तार

विश्वबांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या के बाद हिजाब न पहनने वाली महिलाओं पर हमलों से गुस्सा भड़का