पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के एक हिंदू नेता ने भारत से राजनीतिक शरण की मांग की है. अल्पसंख्यकों पर बढ़ते जुल्म के चलते इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के पूर्व विधायक बलदेव कुमार को अपने परिवार समेत जान बचाकर भारत में आना पड़ा. उन्होंने भारत से राजनीतिक शरण मांगी है.
बलदेव ने कुछ महीने पहले परिवार को लुधियाना के खन्ना भेज दिया था. 12 अगस्त को तीन महीने के वीजा पर खुद भी यहां आ गए थे और अब वह वापस नहीं लौटना चाहते. बलदेव का कहना है कि अल्पसंख्यकोंं पर पाकिस्तान में अत्याचार हो रहे हैं. हिंदू और सिख नेताओं की हत्याएं की जा रही हैं.
इस तरह 36 घंटे रहे विधायक बलदेव खैबर पख्तून ख्वा (केपीके) विधानसभा में बारीकोट (आरक्षित) सीट से 36 घंटे के विधायक रहे हैं. बलदेव के अनुसार साल 2016 में उनके विधानसभा क्षेत्र के विधायक की हत्या हो गई थी. इस मामले पर उन पर झूठे आरोप लगाए गए और उन्हें दो साल तक जेल में रखा गया.
2018 में वह इस मामले से बरी हो गए. पाकिस्तान कानून के मुताबिक, अगर विधायक (पाकिस्तान में इन्हें एमपीए कहा जाता है) की मौत हो जाए तो इसी पार्टी के दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को विधायक बना दिया जाता है. विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के दो दिन पहले उन्हें हत्या के मामले में बरी कर दिया गया.
ऐसे में वह शपथ लेकर 36 घंटे के लिए विधायक रहे. दहशत में अल्पसंख्यक बलदेव का कहना है कि उनके बुजुर्गों ने पाकिस्तान के लिए कुर्बानियां दीं, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक दहशत के माहौल में रहने को मजबूर हैं. वह अपना सबकुछ छोड़कर यहां सिर्फ इसलिए आए हैं, ताकि अपने और अपने परिवार की जान बचा सकें.