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पाकिस्तान के सिंध में हिंदू लड़की का अपहरण, पिछले 15 दिनों में चौथी ऐसी घटना

By विनीत कुमार | Updated: October 11, 2022 12:58 IST

पाकिस्तान के सिंध में हैदराबाद शहर में हिंदू लड़की का अपहरण किया गया है। पाकिस्तान में पिछले 15 दिनों में चौथी ऐसी घटना हुई है, जब अल्पसंख्यक समुदाय की लड़की का अपहरण हुआ है।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान के सिंध में हैदराबाद शहर में हिंदू लड़की का अपहरण, तलाश जारी।माता-पिता के अनुसार चंद्र मेहराज का अपहरण हैदराबाद के फतेह चौक इलाके से घर लौटने के दौरान हुआ।हिंदू, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक पाकिस्तान में आबादी का सिर्फ 3.5 प्रतिशत हैं, अत्याचार की होती रही हैं घटनाएं।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर में एक हिंदू लड़की का अपहरण किए जाने का मामला सामने आया है। लड़की के माता-पिता के अनुसार चंद्र मेहराज का अपहरण हैदराबाद के फतेह चौक इलाके से उस समय किया गया था जब वह घर लौट रही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस में शिकायत कर दी गई है लेकिन लड़की अभी तक नहीं मिली है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्य समुदाय के साथ ऐसी कई घटनाए सामने आती रही है। ताजा मामला हाल में हिंदू समुदाय की तीन लड़कियों के अपहरण किए जाने और उन्हें जबरन इस्लाम धर्म अपनाने की घटना के बाद सामने आया है।

पिछले ही महीने 24 सितंबर को नासरपुर इलाके से मीना मेघवार नाम की 14 साल लड़की का अपहरण कर लिया गया था। वहीं, मीरपुरखास कस्बे में घर लौटते समय एक अन्य लड़की का भी अपहरण किए जाने का मामला सामने आय़ा था।

इसी शहर में रवि कुर्मी नाम के एक हिंदू व्यक्ति ने भी आरोप लगाया कि उसकी पत्नी राखी का अपहरण कर लिया गया और बाद में वह कथित रूप से इस्लाम अपनाने और एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी के बाद नजर आई। हालांकि, स्थानीय पुलिस ने दावा किया कि राखी ने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म अपनाया और अहमद चांडियो से शादी की।

पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार के पहले भी मामले आते रहे हैं। इसी साल जून में, एक किशोर हिंदू लड़की करीना कुमारी ने अदालत के सामने गवाही दी कि उसे जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया और एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करा दी गई। यह घटना सतरन ओड, कविता भील और अनीता भील नाम की तीन हिंदू लड़कियों के साथ भी कुछ ऐसा ही होने के करीब तीन महीने बाद हुई थी।

वहीं, 21 मार्च को पूजा कुमारी नाम की एक हिंदू लड़की की सुक्कुर में उसके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब उसने एक व्यक्ति के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

पिछले साल अक्टूबर में भी पाकिस्तान में एक संसदीय समिति ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ एक विधेयक को खारिज कर दिया था। तत्कालीन धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के लिए अभी समय अनुकूल नहीं है। वहीं, पाकिस्तान के अखबरा 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री ने ये तक ​​दावा किया था कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून देश में शांति व्यवस्था में खलल डाल सकता है और अल्पसंख्यकों को और अधिक कमजोर बना सकता है।

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के अनुसार 2020 के आंकड़े बताते हैं कि हिंदू, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक पाकिस्तान में आबादी का सिर्फ 3.5 प्रतिशत हैं।

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