8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। हालांकि दुनिया के कई देशों में मनाया जा रहा है। फिलहाल, कल मनाया जाएगा। इस मौके पर दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन गूगल ने डूडल वीडियो महिला दिवस पर समर्पित किया है। इस एनिमेटेड वीडियो में नारी शक्ति और उनके योगदान को बखूबी दिखाया गया है।
इस बार का थीम है, मैं जनरेशन इक्वेलिटी: महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूं (I am Generation Equality: Realizing Women’s Rights) है। बताते चलें कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम 'सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फ़ॉर द फ्यूचर' थी।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस इतिहास (International Women Day History)
आपको जानकार हैरानी होगी कि इंटरनेशनल विमन्स डे पहली बार 8 मार्च को नहीं मनाया गया था। सबसे पहले इसे एक अलग तारीख को मनाया गया। लेकिन बाद में महिलाओं के सम्मान के लोइए एक तारीख नियुक्त करने के मकसद से ही इसे देशभर में हर साल 8 मार्च को मनाने को कहा गया।
कब से हुई शुरुआत?
इतिहास के मुताबिक पहली बार वर्ष 1909 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। लेकिन इसे मनाने के पीछे एक खास मकसद रहा। दरअसल साल 1908 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की कुल 15 हजार महिलाओं ने वोटिंग करने की अपनी मांग के चलते एक मोर्चा निकाला। वे चाहती थीं कि जिस तरह से पुरुषों को अपने देश की सर्कार चुनने के लिए हक मुहैया है ठीक इसी प्रकार उन्हें भी यह हक दिया जाए।
जर्मनी की इन महिलाओं का यह मोर्चा सफल रहा और ठीक एक साल बाद जब अमेरिका में सोशलिस्ट सरकार बनी तो उन्होंने वर्ष 1909 में 28 फरवरी का एक दिन महिलाओं को समर्पित करते हुए 'महिला दिवस' के रूप में मनाया। ठीक एक साल बाद जर्मनी में क्लारा जेटकिन ने साल में एक दिन को महिला दिवस के रूप में समर्पित करने का सुझाव रखा। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों को याद करने के लिए एक ऐसा दिन निर्धारित करना चाहिए जब हम उनके हक में आवाज उठा सकें। इसके बाद एक कांफ्रेंस में 17 देशों की जानी मानी 100 महिलाओं ने इस मुद्दे पर अपनी सहमती जताई और आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना हुई।
8 मार्च की तारीख हुई नियुक्त 19 मार्च 1911 को पहली बार कुल तीन देशों - डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। दो साल बाद साल 1913 में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में नियुक्त कर देने का फैसला किया गया। तब से अब तक इसी दिन को महिलाओं के सम्मान, उनके हक और उनके पक्ष में आवाज उठाने के रूप में मनाया जाता है।