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G-20: उत्पादक देशों के बीच कच्चा तेल उत्पादन में कटौती को लेकर खींचतान, सभी रहे मौन

By भाषा | Updated: April 11, 2020 16:43 IST

जी-20 (G-20) में कच्चे तेल उत्पादन घटाने के प्रस्ताव पर उत्पादक देशों के बीच खूब खींचतान हुई। हालांकि, इसके बाद विज्ञप्ति कटौती की बात पर सब मौन रहे।

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ठळक मुद्देबैठक ने कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए ‘तेल बाजार में स्थायित्व’ सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई है।ट्रंप भी अमेरिका का उत्पादन दैनिक ढाई लाख बैरल घटाने पर सहमत हुए हैं।

रियाद: जी-20 (G-20) देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों की शुक्रवार को हुई टेली कांफ्रेंस में कच्चे तेल उत्पादन घटाने के प्रस्ताव पर उत्पादक देशों के बीच खूब खींचतान हुई और शनिवार को सुबह जारी विज्ञप्ति कटौती की बात पर मौन है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्तक्षेप के बावजूद मैक्सिको अड़ गया था। बैठक के अंत में जो बयान जारी हुआ उसमें मतभेदों पर लीपा-पोती की गयी और उत्पादन के कटौती का जिक्र तक नहीं किया जा सका। बयान में बस इतना ही कहा गया कि बैठक ने कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए ‘तेल बाजार में स्थायित्व’ सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई है। 

तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के नेतृत्व में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के बीच एक दिन पहले समझौता हुआ था कि मई अैर जून में दैनिक तेल उत्पादन दस-दस लाख बैरल घटाया जाएगा। उसके बाद अप्रैल 2022 तक उत्पादन में धीरे धीरे और कमी की जाएगी। जी20 की बैठक में मैक्सिको अकेले इस समझौते के खिलाफ खड़ा रहा। 

इस गतिरोध से कच्चे तेल का दैनिक उत्पादन घटा कर दाम चढ़ाने के प्रयासों का सफल होना संदिग्ध हो गया है। कोरोना वायरस और सऊदी अरब तथा रूस के बीच बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने की होड़ के बीच तेल का भाव करीब दो दशक के न्यूनतम स्तर पर आ गया है। जी20 मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक संगठन के मौजूदा अध्यक्ष और ओपेक के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब ने बुलाई थी। 

उम्मीद थी कि इसमें मैक्सिको, कनाडा और अमेरिका सहित प्रमुख गैर-ओपेक देशों के साथ भी उत्पादन कटौती पर सहमति बन जाएगी। हालांकि बैठक के बाद जारी बयान सहमति का संकेत नहीं दिखा। इसमें कटौती का जिक्र तक नहीं है। शनिवार को सुबह जारी बयान में कहा गया, 'हम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताते हैं कि खनिज तेल क्षेत्र कोविड-19 से निपटने और उसके बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए शक्ति प्रदान करने में अपना पूर्ण एवं प्रभावी योगदान जारी रखेगा।' 

बयान में कहा गया, 'हम तेल बाजार में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक और तात्कालिक उपाय करने को प्रतिबद्ध हैं। लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि कनाडा जैसे देश ने अपने उत्पादन में किसी निश्चित मात्रा के बराबर कटौती की कोई प्रतिबद्धता जताई है।' 

कनाडा के प्राकृतिक संसाधन मंत्री सिएमस ओ रेगान ने कहा कि जी-20 की बैठक में 'संख्याओं पर चर्चा नहीं हुई।' कनाडा चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। एक दिन पहले ओपेक के नेतृत्व में हुए समझौते में मैक्सिको से अपेक्षा था कि वह दैनिक उत्पादन चार लाख टनर घटाएगा। लेकिन उसने शुक्रवार को इस सलाह का विरोध किया। मैक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रे मैन्यूल लोपेज ओब्राडोर ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ उनकी दैनिक एक लाख बैरल की कटौती पर सहमति बनी थी। 

उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप भी अमेरिका का उत्पादन दैनिक ढाई लाख बैरल घटाने पर सहमत हुए हैं। बाद में ट्रंप ने भी इसकी पुष्टि की और कहा कि अमेरिका भी कमी पूरा करने के लिए अपना कुछ उत्पादन कम करेगा। सऊदी अरब ने जी20 के सभी देशों से तेल बाजार में स्थिरता के लिए काम करने का आग्रह किया। 

रूस के पेट्रोलियम मंत्री एलेक्जंडर नोवाक ने भी जी20 से 'भागीदारी और एकजुटता' की भावना से काम करने का आग्रह किया। ओपेक के महासचिव मोहम्मद बरकिंदो ने कच्च तेल का उत्पादन मांग से ज्यादा होने की समस्या पर विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आपूर्ति की बाढ़ है और मांग मे आश्चर्यजनक गिरावट है। यही रहा तो मई खत्म होने से पहले दुनिया में कच्चे तेल के भंडार की कोई खाली जगह नहीं बची होगी।

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