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अमेरिका-चीन के बीच पहली प्रत्यक्ष वार्ता हुई पूरी

By भाषा | Updated: March 20, 2021 09:44 IST

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एंकरेज (अमेरिका), 20 मार्च (एपी) अमेरिका और चीन के शीर्ष अधिकारियों ने अलास्का में दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को पूरी कर ली। जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद अमेरिका और चीन के शीर्ष अधिकारियों की आमने-सामने हुई यह पहली बैठक है।

एंकरेज में हुई बैठक दोनों देशों के लिए एक नयी परीक्षा है। अमेरिका और चीन के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक सैन्य कदमों और हांगकांग तथा शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों तथा कोरोना वायरस वैश्विक महामारी समेत कई मुद्दों पर टकराव चल रहा है।

अमेरिका ने चीनी प्रतिनिधिमंडल पर ‘‘दिखावा करने’’ का आरोप लगाया तो वहीं बीजिंग ने पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका के शीर्ष राजनयिकों के साथ वार्ता से ‘‘साजिश की बू’’ आ रही है।

विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बैठक समाप्त होने के बाद कहा, ‘‘हमें रक्षात्मक प्रतिक्रिया मिली।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके साथ चीन द्वारा उठाए कई कदमों पर अपनी चिंताएं साझा करना चाहते थे और हमने उन मुद्दों को उठाया। हम अपनी नीतियों, प्राथमिकताओं तथा दुनिया के विचार भी स्पष्ट तौर पर रखना चाहते थे, और हमने वो भी किया।’’

वहीं चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के प्रमुख यांग जिएची ने कहा कि मतभेदों को दूर करने का एकमात्र तरीका संवाद है लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजिंग का किसी भी मुद्दे पर पीछे हटने का इरादा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘चीन अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता, सुरक्षा और देश के विकास में अपने हितों की रक्षा करेगा। हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका चीन के अपने क्षेत्र, अपने लोगों और उसके सही हितों की रक्षा करने के संकल्प को कमतर नहीं आंकेगा।’’

बृहस्पतिवार को बैठक की शुरुआत में ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन प्रशासन चीन की तानाशाही के खिलाफ लड़ाई में अपने सहयोगियों के साथ एकजुट है। इसके जवाब में यांग ने वाशिंगटन पर मानवाधिकारों तथा अन्य मुद्दों पर ढोंग रचने का आरोप लगाया।

ब्लिंकन ने कहा, ‘‘चीन के ये प्रत्येक कदम नियमों पर आधारित उस व्यवस्था के लिए खतरा है जो वैश्विक स्थिरता बनाए रखती है। इसलिए यह महज आंतरिक मसले नहीं है और यही वजह है कि हम आज यहां इन मुद्दों को उठाना अपना दायित्व समझते हैं।’’

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा कि चीन ने ‘‘आधारभूत मूल्यों पर हमला’’ किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम टकराव नहीं चाहते बल्कि हम कड़ी प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं।’’

इस पर यांग ने भी आरोप लगाया कि अमेरिका अपनी खुद की मानवाधिकार समस्याओं से निपटने में नाकाम रहा है।

यांग ने कहा, हमारा मानना है कि अमेरिका के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह पहले अपनी छवि बदले और बाकी दुनिया में अपने लोकतंत्र को लागू करने से रोके।

चीनी राजनयिकों ने 15 मिनट से अधिक समय तक शुरुआती टिप्पणियां की जिससे ब्लिंकन नाखुश नजर आए।

विदेश विभाग शुरुआती टिप्पणियों के लिए तय दो मिनट की समयसीमा का उल्लंघन करने को लेकर चीनी प्रतिनिधिमंडल पर बरसा। उसने कहा कि ऐसा लग रहा है कि चीन दिखावा कर रहा है और उसके पास बताने के लिए कुछ ठोस नहीं है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बाद में बीजिंग में कहा कि अलास्का बैठक में अमेरिकी अधिकारियों ने चीन की विदेश एवं घरेलू नीतियों पर बेबुनियाद हमले कर चीनी अधिकारियों को गंभीर जवाब देने के लिए उकसाया।

झाओ ने अमेरिकी पक्ष पर शुरुआती टिप्पणियों के लिए तय समय सीमा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जिसके चलते चीनी प्रतिनिधिमंडल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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