80 वर्षीय लेखक को हुई 5 साल की सजा रद्द, किया था दावा- महिलाओं को गुलाम बनाने के लिए किए गए सैन्य आक्रमण से फैला था इस्लाम
By अनिल शर्मा | Published: February 1, 2022 09:30 AM2022-02-01T09:30:03+5:302022-02-01T10:40:40+5:30
मिस्र के विचारक, लेखक और वकील अहमद अब्दो माहेर को उनके लेखों और टीवी पर दिये गये बयानों की वजह से पिछले साल ईशनिन्दा कानून के तहत पाँच साल की सजा सुनायी गयी थी।
काहिराः मिस्र की आपातकालीन राज्य सुरक्षा अदालत ने ईश-निंदा मामले में 80 वर्षीय इस्लामिक विचारक, लेखक और हाई-प्रोफाइल वकील अहमद अब्दह माहेर की 5 साल की सजा को रद्द कर दिया है। पिछले साल इसी अदालत ने माहेर को इस्लाम की अवमानना, सांप्रदायिक संघर्ष को भड़काने और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा पैदा करने के लिए दोषी करार देते हुए 5 साल जेल के साथ 500 मिस्र पाउंड (लगभग $31) के जुर्माने से दंडित किया था।
अहमद अब्दह माहेर ने अपने कई लेखों और टीवी कार्यक्रमों में ये दावा किया था कि प्रारंभिक इस्लामी विजय सैन्य आक्रमण थे और मिस्र की शीर्ष इस्लामी संस्था- अल-अजहर से पैगंबर मुहम्मद के साथियों की तरफ से माफी मांगने को कहा गया था। माहेर के अनुसार, उन आक्रमणों का उद्देश्य दुनिया भर में इस्लाम फैलाने के बजाय महिलाओं को गुलाम बनाना था। माहेर ने इस्लामी विद्वानों के उन विश्वासों का भी खंडन किया था जिसमें ये कहा गया कि पापों के कारण मृतकों को उनकी कब्रों में पीड़ा दी जाती है।
मई 2020 में वकील समीर साबरी ने अन्य संबंधित आरोपों के साथ इस्लाम की अवमानना का आरोप लगाते हुए, महार के खिलाफ अभियोजक जनरल के समक्ष शिकायत दर्ज की थी। माहेर से कई बार पूछताछ की गई और बाद में अक्टूबर 2021 में मुकदमे के लिए भेजा गया। नवम्बर 2021 में अदालत ने मिस्र की दण्ड संहिता के अनुच्छेद 98 (ईशनिन्दा कानून) के आधार पर माहेर को 5 साल जेल की सजा सुनाई थी।
मिस्र, पाकिस्तान, अफगानिस्तान इत्यादि कई इस्लामी देशों में ईशनिन्दा कानून (Blasphemy) के तहत उन लोगों को सजा सुनायी जा सकती है जो इस्लाम मजहब, कुरान या पैगम्बर मोहम्मद इत्यादि का अपमान करते हैं।