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कोविड के दौरान उ. अमेरिका में हुआ जन स्वास्थ्य, हरित स्थान और नस्लीय न्याय जैसे मुद्दों का उभार

By भाषा | Updated: June 13, 2021 15:51 IST

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नादहा सहन, पीजएचडी छात्र और वैनियर स्कॉलर, यॉर्क विश्वविद्यालय, कनाडा

टोरंटो, 13 जून (द कन्वरसेशन) कोविड-19 महामारी के दौरान पिछले एक साल में उत्तरी अमेरिका में जन स्वास्थ्य, हरित स्थान और नस्लीय न्याय जैसे गंभीर मुद्दों का उभार हुआ है।

काले, स्वदेशी और अश्वेत लोगों को पार्कों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर भी निगरानी, संदेह, उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ा है। इन स्थानों को मुख्य रूप से उच्च वर्ग से संबंध रखने वाले, सक्षम और गोरे लोगों के घूमने-फिरने और टहलने की जगह माना जाता है।

कोविड-19 महामारी ने पहले से ही जड़ें जमा चुकी सामाजिक और स्वास्थ्य असमानताओं को बहुत तेजी से उजागर किया है। इसके अलावा शहरी लोगों के बीच लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक हरित स्थानों की मांग भी बढ़ी है।

वहीं, नस्लवाद और विशेषकर अश्वेत विरोधी, स्वदेशी विरोधी और एशियाई नस्ल विरोधी नस्लवाद को लेकर जागरुकता बढ़ी है, जिससे नस्लीय न्याय की अपील को मजबूती मिली है।

महामारी के दौरान हरित स्थानों का इस्तेमाल बढ़ना दर्शाता है कि कोविड-19 के बाद इन्हें बढ़ाए जाने की किस कदर जरूरत है।

यूएन-हैबिटेट की हालिया रिपोर्ट "सिटीज एंड पैंडेमिक्स: टुवर्ड्स ए मोर जस्ट, ग्रीन एंड हेल्दी फ्यूचर" महामारी के बाद के शहरी जीवन के लिए रणनीतियों को साझा करती है, लेकिन इसमें व्यवस्थागत नस्लवाद से निपटने को लेकर कोई खास कोशिश होती हुई नहीं दिखी है।

टोरंटो में, अलग नस्ल की होने के चलते मुझे "घर वापस जाने" के लिए कहा गया और कुछ मोहल्लों में घूमते समय मुझे शक की नजर से देखा गया। एक महिला होने के नाते मुझसे सार्वजनिक स्थानों पर छेड़खानी की गई।

टोरंटो में, पड़ोसी नस्लीय और आय की रेखाओं के साथ विभाजित हैं और यह विभाजन लगातार बढ़ रहा है। यह विभाजन ऐतिहासिक बहिष्कार नीतियों की विरासत है। अन्याय को दूर करने के लिए मौजूदा नीतियों और प्रक्रियाओं को समानता और दमन-विरोधी सिद्धांतों पर आधारित करने की आवश्यकता है।

शिक्षा, सिद्धांत और व्यवहार को सुधारने में नस्लीय व सामाजिक समानता को बढ़ावा देने और मौजूदा शहरी नियोजन प्रक्रियाओं व हरित स्थानों के आसपास स्वास्थ्य संवर्धन पहलों की फिर से कल्पना करने की आवश्यकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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