इस्लामी मुल्क जॉर्डन की संसद में महिला अधिकारों को लेकर हुई नोकझोंक, पुरुष-महिला को बराबर अधिकार दिए जाने की हो रही मांग

By मनाली रस्तोगी | Published: February 19, 2022 02:46 PM2022-02-19T14:46:39+5:302022-02-19T17:04:52+5:30

जॉर्डन की संसद में समान अधिकारों वाले संवैधानिक क्लॉज को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, इस संवैधानिक क्लॉज में "जॉर्डन की महिलाओं" को जोड़ने के लिए एक चर्चा के दौरान संसद में विवाद शुरू हुआ।

Controversy over women rights in Jordan parliament there is a demand to give equal rights to men and women | इस्लामी मुल्क जॉर्डन की संसद में महिला अधिकारों को लेकर हुई नोकझोंक, पुरुष-महिला को बराबर अधिकार दिए जाने की हो रही मांग

इस्लामी मुल्क जॉर्डन की संसद में महिला अधिकारों को लेकर हुई नोकझोंक, पुरुष-महिला को बराबर अधिकार दिए जाने की हो रही मांग

Highlights"जॉर्डन की महिलाओं" को लेकर शुरू हुआ विवादजॉर्डन की संसद में पिछले महीने मौजूद 120 सांसदों के 94 मतों के साथ नया संशोधन पारित हुआ था

अम्मानःजॉर्डन की संसद में समान अधिकारों वाले संवैधानिक क्लॉज को लेकर एक राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। बता दें कि इस संवैधानिक क्लॉज में "जॉर्डन की महिलाओं" को जोड़ने के लिए एक चर्चा के दौरान संसद में विवाद शुरू हुआ। मालूम हो, संसद में पिछले महीने मौजूद 120 सांसदों के 94 मतों के साथ नया संशोधन पारित हुआ था। नए संशोधन ने संविधान के दूसरे अध्याय का शीर्षक "जॉर्डन के पुरुषों और जॉर्डन की महिलाओं के अधिकार और कर्तव्य" में बदल दिया, जिसमें जॉर्डन की महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले "अल-उर्दुनियत" को जोड़ा गया है।

वहीं, नए संशोधन को कुछ कार्यकर्ताओं ने बेकार बताया है क्योंकि उनका मानना है कि वास्तविक कानूनी परिवर्तनों से बचने के लिए केवल एक बचने का मार्ग है कि संविधान को महिलाओं को उचित रूप से समर्थन देने की आवश्यकता है। जॉर्डन के राष्ट्रीय महिला आयोग (JNCW) की महासचिव सलमा निम्स ने संविधान के अनुच्छेद 6 में "सेक्स" को जोड़ने की लगातार उपेक्षित मांगों का जिक्र करते हुए कहा, "यह कमरे में हाथी से दूर भाग रहा है, जो अब केवल प्रतिबंधित है।" बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 6 अब केवल "जाति, भाषा और धर्म" के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।

अपनी बात को जारी रखते हुए निम्स ने कहा कि हालिया संशोधन कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, एक संवैधानिक अध्याय के शीर्षक का "कोई कानूनी प्रभाव नहीं है"। वहीं, इस मामले में राजनीतिक और संसदीय मामलों के मंत्री मूसा मायत ने कहा कि "जॉर्डन की महिलाओं" को जोड़ने का मतलब "महिलाओं को सम्मान" देने के रूप में किया गया है। निम्स ने मैयता के तर्क पर सवाल उठाते हुए जवाब दिया, "मैं आपसे किसी शब्द का प्रयोग करके मेरा सम्मान करने के लिए नहीं कह रही हूं। यह महिलाओं के सम्मान के बारे में नहीं है, यह एक संविधान है, आप इसे कानूनी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं।"

फिल्हाल्म दूसरों को डर है कि संशोधन के दीर्घकालिक कानूनी नतीजे होंगे। ऐसे में यह जॉर्डन के पारिवारिक मामलों के कानूनों को प्रभावित कर सकता है। इस मुद्दे को लेकर इस्लामिक एक्शन फ्रंट (आईएएफ) के पूर्व विधायक और सदस्य हयात अल-मुसामी का कहना है कि जॉर्डन की महिलाओं को जोड़ना समाज और परिवार के लिए लंबे समय में खतरनाक है।

Web Title: Controversy over women rights in Jordan parliament there is a demand to give equal rights to men and women

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