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चीन के सरकारी अखबार ने इस देश को दी धमकी, बोले- युद्ध ही अब आगे बढ़ने का एक रास्ता

By अनुराग आनंद | Updated: October 7, 2020 14:31 IST

कोरोना वायरस महामारी के दौरान चीन ने अपने सम्राज्य के विस्तार के लिए पड़ोस के कई मुल्कों के साथ अपने संबंध को न सिर्फ तनावपूर्ण किया। बल्कि, चीन अपनी सीमा के विस्तार के लिए इस आपदा में अवसर की तालाश कर रहा है।

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ठळक मुद्देताइवान ने अपने संसद में दो नए विधेयक पेश कर दिए हैं।इस विधेयक के माध्यम से ताइवान सीधे अमेरिका के साथ डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित कर सकेगा।चीन अमेरिका के साथ ताइवान के सीधे संबंध स्थापित करने की बात के बिल्कुल खिलाफ है।

नई दिल्ली:चीनी सरकार का मुखपत्र या अधिकारिक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी सरकार को पड़ोस के एक को लेकर सुझाव दिया है कि अब सरकार युद्ध की तैयारी करे और मुंहतोड़ जवाब दे।

ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख की मानें तो अब चीन व उसके पड़ीसी देश ताइवान के बीच तनाव इस हद तक बढ़ गया है कि युद्ध ही एक मात्र विकल्प है। 

रिपोर्ट में ताइवान को धमकी देते हुए यहां तक कहा गया है कि अब आगे बढ़ने का युद्ध ही एक मात्र रास्ता है। साफ शब्दों में लेख में कहा गया है कि ताइवान की उद्दंडता दिन प्रतिदन बढ़ रही है, ऐसे में सरकार को अब युद्ध की तैयारी सुरू कर देनी चाहिए।

यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से अखबार ने खुलेआम ताइवान पर हमले का जिक्र अपने लेख में किया है। इससे पहले भी ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि इतिहास में अहम पड़ाव नजदीक आ गया है। यही नहीं अखबार ने साथ ही कहा था कि ताइवान ने गलत दिशा में अपने पांव बढ़ा दिए हैं। 

दरअसल, ताइवान ने अपने संसद में दो विधेयक पेश कर दिए हैं। इस विधेयक के माध्यम से ताइवान सीधे अमेरिका के साथ डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित कर सकेगा। चीन इस बात के बिल्कुल खिलाफ है। यही वजह है कि दोनों देशों में हाल के दिनों में तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है। 

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बता दें कि ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में हमेशा से ही अनबन रही है। जहां चीन ताइवान को अपना एक हिस्सा मानता है और उसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में मिलाने की इच्छा रखता है तो वहीं अमेरिका ताइवान की स्वतंत्रता को बचाए रखना चाहता है।

ताइवान रिलेशंस एक्ट 1979 के तहत अमेरिका ताइवान (रिपब्लिक ऑफ चाइना) की सुरक्षा का जिम्मेदार है। ताइवान रिलेशंस एक्ट के पहले अमेरिका और ताइवान के बीच चीन-अमेरिका पारस्परिक सुरक्षा संधि अस्तित्व में थी जो मार्च 1955 से दिसंबर 1979 तक प्रभावी रही।

इस संधि के कई पहलुओं को ताइवान रिलेशंस एक्ट में भी शामिल किया गया है। पिछले कुछ सालों में चीन का ताइवान को लेकर रुख सख्त होता जा रहा है।

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