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चीन का अफगानिस्तान में ईरान के साथ एक साझा रुख बनाने का प्रयास

By भाषा | Updated: September 5, 2021 16:48 IST

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चीन युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में बड़ी सतर्कता से अपनी बढ़ती भूमिका को मजबूत करने के लिए उसके पड़ोसी देश ईरान के साथ एक साझा रुख बनाने की कोशिश कर रहा है। चीन तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में एक ऐसी ‘‘खुली और समावेशी’’ सरकार बनाने की प्रतीक्षा कर रहा है जो सभी आतंकवादी समूहों से खुद को अलग रखे । चीन पहले से ही अफगानिस्तान पर अपनी विकसित हो रही नीति को अपने ‘‘पुराने सहयोगी’’ पाकिस्तान और रूस के साथ समन्वयित कर रहा है, जो अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं। बीजिंग ने पाकिस्तान और रूस के साथ काबुल में अपना दूतावास खुला रखा हुआ है। चीन तालिबान द्वारा सरकार के गठन का इंतजार कर रहा है, ताकि वह नयी सरकार का समर्थन करने पर निर्णय कर सके। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों ने यह संकेत दिया है कि वे इसे मान्यता देने के फैसले में जल्दबाजी नहीं करेंगे। चीन साथ ही पंजशीर घाटी में तालिबान और अहमद मसूद के नेतृत्व वाले नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) के लड़ाकों के बीच जारी संघर्ष पर भी बारीकी से नजर रखे हुए है जिससे अफगानिस्तान में नयी सरकार के गठन में कथित तौर पर देरी हुई है। शनिवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने ईरानी समकक्ष हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। ईरान अपनी परमाणु नीति को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते संघर्ष कर रहा है और उसने हाल के वर्षों में चीन के साथ नजदीकी बढ़ायी है। वहीं चीन ने तेल-समृद्ध देश में अपने निवेश का लगातार विस्तार किया है, जो पाकिस्तान के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है। अमीर अब्दुल्लाहियान के साथ अपनी बातचीत में वांग ने कहा कि चीन ने इस पर गौर किया है कि तालिबान आने वाले दिनों में एक नयी सरकार के गठन की घोषणा कर सकता है। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वांग ने आशा व्यक्त की कि ‘‘नयी सरकार खुली और समावेशी होगी, आतंकवादी संगठनों से दूर रहेगी और अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करेगी और विकसित करेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के आम पड़ोसियों के रूप में, चीन और ईरान को अफगानिस्तान में सत्ता में बदलाव और शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए संचार और समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता है।’’ वांग ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘अमेरिका का यह दावा कि अफगानिस्तान से वापसी से वह अब चीन और रूस पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाएगा, न केवल अपनी विफलता को छुपाने का एक बहाना है, बल्कि यह दुनिया में सत्ता की राजनीति पर उसके द्वारा जोर दिये जाने की उसकी प्रकृति को भी प्रकट करता है।’’ वांग ने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका उचित सबक नहीं सीख पाता है, तो वह अफगानिस्तान से कही अधिक बड़ी गलतियां करेगा। अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि अफगानिस्तान में अराजकता का मूल कारण अमेरिका की गैरजिम्मेदारी है। प्रेस विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया, ‘‘ईरान यह भी मानता है कि अफगानिस्तान को देश के सभी जातीय समूहों के हितों को दर्शाते हुए एक व्यापक और समावेशी सरकार स्थापित करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, "ईरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने और अफगानिस्तान में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होने से रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़े जिससे लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हों।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ईरान अफगानिस्तान की मदद के लिए चीन के साथ समन्वय को मजबूत करने के लिए तैयार है ताकि वह जल्द से जल्द कठिनाइयों से बाहर निकल सके।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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