मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने को लेकर अमेरिका द्वारा यूएन में प्रस्ताव लाया गया था. फ्रांस, ब्रिटेन और रूस भी इस प्रस्ताव का लगातार समर्थन करते आ रहे हैं. लेकिन चीन के टेक्निकल होल्ड के कारण हर बार यह मामला फंस जाता है.
पुलवामा हमले के बाद फ्रांस ने मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट करने के लिए प्रस्ताव लाया था लेकिन चीन की आपत्ति के कारण यह संभव नहीं हो पाया था.
इमरान खान के चीन दौरे से लौटने के एक दिन बाद चीन ने मसूद अजहर को लेकर बयान दिया है. उसने कहा है कि मसूद अजहर का मामला यूएन के साथ मिल कर सुलझाया जायेगा. लेकिन चीन ने इसके लिए कोई तय समयसीमा नहीं बताई है. बढ़ते वैश्विक दबाव के कारण इस बार चीन को झुकना पड़ सकता है.
पहले इस तरह की रिपोर्ट थी कि चीन चाहता है कि वो 15 मई के आसपास मसूद अजहर पर टेक्निकल होल्ड को हटा ले. इस संबंध में अमेरिकी प्रशासन पहले ही साफ कर चुका है कि अब समय का जाया हो चुका है और चीन को पुख्ता कदम उठाने ही होंगे.
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद फ्रांस, यूएस और यूके ने संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमेटी के सामने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने का प्रस्ताव रखा था.
1267 कमेटी में यूएन सेक्युरिटी काउंसिल की ही तरह 15 सदस्य हैं. कमेटी ने किसी तरह की आपत्ति दर्ज करने के लिए 10 दिन का समय दिया था. लेकिन 13 मार्च यानी निर्णायक दिन चीन की तरफ से खेल खेला गया और मसूद अजहर को राहत मिल गई.