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चीन पर एक बार फिर ट्रंप का जोरदार हमला, कहा- ड्रैगन ने US समेत दुनिया के बाकी देशों को बहुत नुकसान पहुंचाया

By अनुराग आनंद | Updated: July 6, 2020 19:19 IST

कुछ दिनों पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा था कि दक्षिण पूर्व एशिया में चीन से बढ़ते खतरे की वजह से अमेरिकी सेना को एशिया में तैनात किया जा रहा है।

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ठळक मुद्देएक अनुमान के मुताबिक चीन रूस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा रक्षा पर खर्च कर रहा है।चीन और रूस जैसी दो महाशिक्तयों के साथ प्रतिस्पर्द्धा के लिए अमेरिका अपनी सेना को पहले से अधिक मजबूती दे रहा है।अमेरिकी सेना का ध्यान अब यूरोप और पश्चिम एशिया से हटकर एशिया प्रशांत इलाके पर हो गया है।

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस समय अमेरिका दुनिया भर में कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक है।

इसके बाद ब्राजील और फिर कोरोना संक्रमण के मामले में दुनिया भर में तीसरे स्थान पर भारत पहुंच गया है। कोरोना संक्रमण के फैलने को लेकर अमेरिकाचीन पर आरोप लगाता रहा है।

अब एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर एक बार फिर से चीन पर जोरदार हमला किया है। ट्रंप ने कहा है कि चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के बाकी हिस्सों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, ट्रंप ने यह ट्वीट किस मामले में किया है, यह उसने नहीं बताया है।

अमेरिका चीन के खिलाफ आक्रमक हो गया है- 

बता दें कि अमेरिका ने चीन के खिलाफ अब आक्रमक रुप अख्तियार कर लिया है। चीन व अमेरिका दोनों देशों के बीच तानातानी लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि अमेरिका ने साउथ चाइना शी व एशिया के अलग-अलग देशों में भारी संख्या में अपने सेना को तैनात करने का फैसला लिया है।

ऐसा इसलिए ताकी चीन के किसी भी विस्तारवादी चाल को नाकाम किया जा सके। यही नहीं जरूरत पड़ने पर चीन के किसी भी प्रतिक्रिया का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। 

अमेरिका के निशाने पर आया चीन

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 के दशक में अमेरिका का फोकस मुख्य रूप से आतंकवाद पर था और उसने इराक तथा अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ा था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने पिछले महीने अपने एक लेख में कहा था, चीन और रूस जैसी दो महाशिक्तयों के साथ प्रतिस्पर्द्धा के लिए अमेरिकी सेना को निश्चित रूप से अग्रिम इलाके में पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से सेना को तैनात करना होगा।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अमेरिका जर्मनी से अपने सैनिकों संख्या 34500 से घटाकर 25 हजार करने जा रहा है। इन 9500 अमेरिकी सैनिकों को इंडो- पैसफिक इलाके में तैनात किया जाएगा या फिर उन्हें अमेरिका में स्थित सैन्य अड्डे पर भेजा जाएगा।

चीन लगातार अपनी सेना पर भारी खर्च कर रहा है 

एक अनुमान के मुताबिक चीन रूस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा रक्षा पर खर्च कर रहा है। चीन की रणनीति है कि अमेरिकी जंगी जहाजों और फाइटर जेट को अपने करीब न आने दे। इसके लिए चीन अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ा रहा है। साथ ही रेडार क्षमता को और ज्यादा आधुनिक बना रहा है।

अमेरिकी सेना ने बदल दी अपनी रणनीति

विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी सेना के वैश्विक संचालन में तीन बदलाव आए हैं। पहला-अमेरिकी सेना का ध्यान अब यूरोप और पश्चिम एशिया से हटकर एशिया प्रशांत इलाके पर हो गया है। दूसरा-अमेरिकी सेना का जमीनी जंग की बजाय समुद्र और हवा में युद्ध पर फोकस हो गया है। तीसरा: ट्रंप प्रशासन अब अमेरिकी सेना पर होने वाले खर्च को घटाना चाहता है। अमेरिक तेल की चाहत में पश्चिम एशिया गया था लेकिन अब यह खुद उसके यहां भी पैदा होने लगा है। चीन से निपटने के लिए अब अमेरिकी सेना एयर और समुद्र में जंग लड़ने पर अपना फोकस कर रही है।

अमेरिकी सेना का मानना है कि अगर चीन से साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी या हिंद महासागर में युद्ध लड़ना पड़ा तो यह क्षमता बेहद जरूरी होगी। वर्ष 1987 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के 1,84,000 सैनिक थे लेकिन वर्ष 2018 में यह घटकर 1,31,000 हो गए। ट्रंप प्रशासन अब दक्षिण कोरिया और जापान के साथ सैनिकों को लेकर वार्ता कर रहा है।

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