भारत से लगती सीमा पर चीन अपने सबसे उन्नत लड़ाकू विमान जे-20 को तैनात कर रहा है, इंडियन एयर फोर्स भी अलर्ट
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: May 31, 2024 13:06 IST2024-05-31T13:04:34+5:302024-05-31T13:06:05+5:30
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो जे-20 लड़ाकू विमान भले ही चीन का सबसे उन्नत विमान माना जाता हो लेकिन इसकी क्षमताएं कठिन परिस्थितियों में अब तक नहीं आजमाई गई हैं। इसलिए उन्हें तिब्बती हवाई क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है।

जे-20, चीन का एक स्टील्थ लड़ाकू विमान है
नई दिल्ली: भारत से लगती सीमा पर चीन अपने सबसे उन्नत लड़ाकू विमान तैनात कर रहा है। चीन ने अपने प्रमुख लड़ाकू विमान जे-20 को सिंकियांग (झिंजियांग) और तिब्बत के हवाई क्षेत्रों में ले जाना शुरू कर दिया है। झिंजियांग के प्रमुख हवाई अड्डों होटन, होपिंग और गोंगका में जे-20 लड़ाकू विमानों की तैनाती देखी गई है। जे-20, चीन का एक स्टील्थ लड़ाकू विमान है जो रडार की पकड़ में नहीं आते हैं।
क्यों कर रहा है चीन ऐसा
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो जे-20 लड़ाकू विमान भले ही चीन का सबसे उन्नत विमान माना जाता हो लेकिन इसकी क्षमताएं कठिन परिस्थितियों में अब तक नहीं आजमाई गई हैं। इसलिए उन्हें तिब्बती हवाई क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है। चीन का मकसद पायलटों और इंजीनियरों को ऊंचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में प्रशिक्षण देना है। 15,000 फीट से ऊपर तिब्बती पठार में इन विमानों की असल परीक्षा होगी।
चीनी वायु सेना से पास 180-200 के बीच जे-20 लड़ाकू विमान हैं। चीन ने इन्हें न केवल पूर्वी तट पर, ताइवान के सामने, बल्कि तिब्बत सहित अंदरूनी इलाकों में भी तैनात किया है। चीन की गतिविधियां केवल सीमा के नजदीकी हवाई अड्डों पर लड़ाकू विमान तैनात करने तक सीमित नहीं है। चीन ने सीमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण भी बड़े पैमाने पर किया है। चीन सीमा पर 'ज़ियाओकांग' गांव बसा रहा है। यह दोहरे उपयोग के लिए है। इन गांवों में आम नागरिक भी होंगे और साथ यहां सैन्य साजोसामान का जमावड़ा भी होगा।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) एलएसी के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर रही है और बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत कर रही है। इसमें पूर्वी लद्दाख में सेना के पीछे हटने के बाद बनाए गए बफर जोन भी शामिल हैं। चीन ने हाल ही में सैमजंगलिंग के उत्तर से गलवान घाटी तक एक सड़क का निर्माण पूरा किया है। पीएलए कैलाश रेंज और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स सहित पैंगोंग त्सो के दोनों किनारों पर अन्य बफर जोन के पीछे सैन्य और परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है।
क्या है भारत की तैयारी
भारतीय सैन्य रणनीतिकार और भारत सरकार इस मामले की गंभीरता को समझते हैं। चीनी सेना की गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय हैं और भारत भी इससे निपटने की रणनीति पर काम कर रहा है। फरवरी 2024 में केंद्र सरकार ने चीनी वायु सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उच्च शक्ति वाले रडार स्थापित करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी थी। रडार का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो द्वारा किया जाएगा। भारत में निर्मित राडार को एलएसी और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर तैनात करने की योजना है। नए रडार लद्दाख सेक्टर में चीनी वायु सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हैं।
भारतीय वायु सेना ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबिहड़ा इलाके में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग की साढ़े तीन किलोमीटर लंबी आपातकालीन हवाई पट्टी का रनवे के रूप में उपयोग करने की तैयारी भी की है।