नेपाल में फिर से अपनी सक्रियता बढ़ाने में जुटा चीन, कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य युआन जियाजुन काठमांडू पहुंचे
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: July 23, 2023 08:20 PM2023-07-23T20:20:36+5:302023-07-23T20:22:17+5:30
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पोलित ब्यूरो सदस्य युआन जियाजुन 26 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को नेपाल पहुंचे। युआन श्रीलंका की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद काठमांडू पहुंचे हैं।
नई दिल्ली: नेपाल में चीन अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिशें लगातार करता रहता है। भारत के पड़ोसी देश की भौगोलिक स्थिति के कारण चीन की रूचि नेपाल में हमेशा से रही है। इसी क्रम में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पोलित ब्यूरो सदस्य युआन जियाजुन 26 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को यहां पहुंचे।
युआन जियाजुन ने नेपाली राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से मुलाकात भी की। चीनी नेता से हुई मुलाकात के दौरान नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कहा कि दोनों देश प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी रहे हैं। नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि युआन ने राष्ट्रपति कार्यालय ‘शीतल निवास’ में पौडेल से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों व आपसी हितों पर चर्चा की।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पोलित ब्यूरो सदस्य युआन रविवार को सिंघा दरबार में नेपाल के उपप्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री पूर्ण बहादुर खड़का तथा सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के कार्यवाहक अध्यक्ष नारायण काजी श्रेष्ठ के साथ अलग-अलग बैठकें कर सकते हैं। अपनी यात्रा के दौरान युआन के यहां अन्य राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करने की उम्मीद है।
युआन श्रीलंका की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद काठमांडू पहुंचे हैं। श्रीलंका में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे समेत कई नेताओं से मुलाकात की। चीन भले ही इस यात्रा को सामान्य बता रहा हो और नेपाल और श्रीलंका भी यात्रा के दौरान हुए समझौतों और बातचीत के बारे में खुलकर बात न कर रहे हों लेकिन भारत की निगाहें हमेशा ऐसे दौरों पर रहती हैं।
दरअसल हिंद महासागर में श्रीलंका की स्थिति और पड़ोसी नेपाल भारत के लिए सामरिक रूप से भी काफी अहम हैं। इन दोनों देशों के साथ भारत के रिश्ते सदियों से अच्छे रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में नेपाल और श्रीलंका को अपने पाले में करने के लिए चीन ने हर तरह के कदम उठाए हैं। इस दिशा में चीन का सबसे बड़ा कदम इन देशों को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना है। सस्ते कर्ज के लालच में ये देश चीन से पहले मोटा पैसा उधार लेते हैं और जब इसे चुकाने में अक्षम रहते हैं तो चीन किसी महत्वपूर्ण जगह जैसे बंदरगाह या एयरपोर्ट का संचालन अपने हाथ में ले लेता है। चीन की इन तरकीबों को भारत अच्छे से समझता और ऐसी गतिविधियों पर नजर बनाए रखता है।