भारत और नेपाल के रिश्तों में चीन की घुसपैठ का एक और उदाहरण सामने आए है। मिली जानकारी के अनुसार नेपाल में नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांकी ने मंगलवार को काठमांडू में नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेता झाला नाथ खनाल से डुलु में उनके घर जाकर मुलाकात की। वहीं, नेपाली राष्ट्रपति विद्या भंडारी से चीन राजदूत की मुलाकात भी विवादों में आ गई है।
दरअसल, नेपाल के नेताओं से मुलाकात उस समय हो रही है जब नेपाल में प्रधानमंत्री केपी ओली अपने ही पार्टी के कारण मुश्किल में हैं और उन पर खराब गवर्नेंस के कारण पद छोड़ने का भी दबाव बन रहा है। ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ नेपाल के रिश्ते भी खराब हुए हैं।
केपी ओली पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वे चीन के इशारे पर काम करते हैं। इसे लेकर नेपाल में राजनीतिक हलको सहित कुछ वर्ग के लोगों में भी नराजगी है। बहरहाल, चीन की नेपाल में राजदूत होउ पहली बार इस तरह विवादों में नहीं आई हैं। इससे पहले वे एनसीपी के नेताओं से अप्रैल के आखिर में और मई की शुरुआत में भी मिल चुकी हैं।
पिछले हफ्ते प्रोटोकॉल तोड़ कर राष्ट्रपति से की मुलाकात
राजनीतिक विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि चीन ने कम्यूनिस्ट नेताओं को एक साथ लाने और शासननीत पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई। होउ ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति विद्या भंडारी से भी 3 जुलाई को मुलाकात की थी। इसे तब एक शिष्टाचार भेंट बताया गया था। हालांकि, अब रिपोर्ट्स हैं कि इसमें प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।
अप्रैल-मई में ओली और एनसीपी चेयरमैन पुष्पा कमल दहल 'प्रचंड' के साथ होउ की बैठकों को कुछ विश्लेषक प्रधानमंत्री की मुश्किल स्थिति को दूर करने के प्रयासों के तौर पर गिनते हैं। मई में मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि होउ ने अपनी पिछली बैठकों में एनसीपी के भीतर दरार पर चिंता व्यक्त की थी और पार्टी के नेताओं से एकता बनाए रखने और किसी भी प्रकार के विभाजन को रोकने का आग्रह किया था।
नेपाल के अखबार 'काठमांडू' पोस्ट के अनुसार होउ की हाल में सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं से मुलाकात ने कई सवालों को नेपाल में जन्म दे दिया है। दरअसल, ये मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता है और हर कोई इसका फायदा उठाने की कोशिश में जुटा है। इसे कई जानकार नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप के तौर पर भी देख रहे हैं।
नेपाल की राष्ट्रपति से मुलाकात पर सवाल
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी से मुलाकात सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है। ओली और प्रचंड के बीच जारी तनाव के बीच भंडारी के रोल की भी बातें होती रही हैं। एनसीपी की स्टैंडिंग कमेटी के 44 में से 30 सदस्यों ने ओली को पीएम पद छोड़ने को कहा है। ऐसे में भंडारी के साथ होउ की बैठक और सवाल खड़े करती है। खासकर जिस तरह विदेश मंत्रालय के अधिकारी कहते रहे हैं कि राष्ट्रपति कार्यालय ने कई बार प्रोटोकॉल तोड़े हैं।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय का एक सचिव राष्ट्रपति कार्यालय में पदस्थापित है और ये विदेश मेहमानों या राजदूतों से मुलाकात को लेकर राष्ट्रपति भंडारी को सूचनाए देता है। हालांकि, होउ से नेपाली राष्ट्रपति के मुलाकात के बारे में उसे भी जानकारी नहीं दी गई थी। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार ऐसी बैठक में विदेश मंत्रालय के अधिकारी का मौजूद रहना जरूरी होता है लेकिन इस बार उसे बताया ही नहीं गया।