ब्रिटेन की गृहमंत्री ने नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी

By भाषा | Published: April 16, 2021 09:57 PM2021-04-16T21:57:28+5:302021-04-16T21:57:28+5:30

Britain's Home Minister approved to extradite Nirav Modi to India | ब्रिटेन की गृहमंत्री ने नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी

ब्रिटेन की गृहमंत्री ने नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी

(अदिति खन्ना)

लंदन/नयी दिल्ली, 16 अप्रैल ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पित करने के आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। ब्रिटेन के गृह विभाग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी)से करीब 13 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में भारत में वांछित है।

यह फैसला वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के न्यायाधीश सैम गूजी के फरवरी में आए निर्णय के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि मोदी को भारतीय अदालत के समक्ष जवाब देना है और ब्रिटिश कानून के तहत प्रत्यर्पण पर रोक उनके मामले में लागू नहीं होता है।

इस समय दक्षिण-पश्चिम लंदन की वांड्सवर्थ जेल में बंद 50 वर्षीय नीरव मोदी के पास गृह मंत्री के आदेश को लंदन के उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए 14 दिन का समय है।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ जिला न्यायाधीश ने 25 फरवरी को नीरव मोदी प्रत्यर्पण मामले में फैसला दिया था। प्रत्यर्पण आदेश पर 15 अप्रैल को हस्ताक्षर किए गए हैं।’’

नीरव मोदी अब जिला न्यायाधीश और गृह मंत्री के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है।

ब्रिटेन की अदालती प्रक्रिया में भारतीय एजेंसियों का प्रतिनिधित्व कर रहे क्राउन प्रॉसेक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ मंत्री (प्रीति पटेल) ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है। नीरव मोदी के कानूनी प्रतिनिधियों को इसकी सूचना दे दी गई है और उनके पास फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 14 दिन का समय है।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इसलिए हम यह देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि क्या वे अपील की अनुमति मांगते हैं। अगर उन्हें अपील करने की अनुमति दी जाती है तो हम किसी भी अपील का अदालती प्रक्रिया के दौरान भारत सरकार की ओर से विरोध करेंगे।’’

मोदी पर अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी)से धोखाधड़ी करने का आरोप है।

फरवरी में न्यायाधीश गूजी ने कहा था, ‘‘मैं संतुष्ट हूं कि नीरव मोदी के मामले में जो सबूत है वह उससे पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में दोषी ठहराया जा सकता है। प्रथम दृष्टया मामला बनता है।’’

उन्होंने विस्तृत फैसले में कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया स्थापित होते हैं। ये आरोप हैं धनशोधन, गवाहों को धमकाने और सबूतों को मिटाने के।

अदालत ने स्वीकार किया था कि लंदन की जेल में लंबे समय तक रहने की वजह से उसकी मानसिक सेहत में गिरावट आ रही है और कोविड-19 महामारी की वजह से यह बढ़ी है, लेकिन उसके आत्महत्या करने के खतरे के आधार पर यह निर्णय नहीं किया जा सकता कि उसे प्रत्यर्पित करना ‘अन्यायपूर्ण और दमनकारी’ है।

उल्लेखनीय है कि नीरव मोदी दो तरह के आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है। पहले तरह के मामले में सीबीआई पीएनबी से फर्जी तरीके से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ प्राप्त करने या ऋण समझौता करने की जांच कर रही है जबकि प्रर्वतन निदेशालय धनशोधन के मामले की जांच कर रहा है।

वह सबूतों को गायब करने और गवाहों को धमकाने या ‘आपराधिक धमकी की वजह से मौत होने’ के आरोपों का सामना कर रहा है, जिससे सीबीआई के मामलों के साथ जोड़ा गया है।

गृहमंत्री को भेजे गए अदालत के आदेश में न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘मैं नीरव मोदी के इस तर्क को स्वीकार नहीं करता कि वह वैध कारोबार में शामिल था और लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का अधिकृत स्तर पर ही इस्तेमाल किया।’’

ब्रिटिश प्रत्यर्पण कानून के तहत भारत भाग दो का देश है, जिसका अभिप्राय है कि कैबिनेट मंत्री विभिन्न मामलों पर विचार करने के बाद जिस व्यक्ति के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है, उसको प्रत्यर्पित करने का आदेश जारी कर सकता है।

गृह मंत्री का आदेश दुर्लभ मामलों में ही अदालत के निष्कर्षों के विपरीत जाता है क्योंकि उन्हें केवल प्रत्यर्पण की कुछ बंदिशों पर ही विचार करना था, जो नीरव मामले में लागू नहीं होती।

हालांकि, नीरव मोदी को लंदन के वांड्सवर्थ जेल के बैरक संख्या 12 से मुंबई के आर्थर रोड जेल लाने में कुछ और दूरी बाकी है।

इस मामले में अगर कोई अपील दाखिल होती है और उसे स्वीकार किया जाता है तो उसपर सुनवाई लंदन उच्च न्यायालय के प्रशासनिक प्रकोष्ठ में होगा।

मामले में ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में भी अपील दाखिल हो सकती है लेकिन यह तभी संभव है जब उच्च न्यायालय प्रमाणित करे कि अपील में आम जनता के महत्व का कानून का प्रश्न उठाया गया है अथवा उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय अपील दायर करने की अनुमति दे।

इस बीच, नीरव मोदी की कानूनी टीम ने फैसले के खिलाफ अपील करने की तत्काल पुष्टि नहीं की है। वह अगली कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक लंदन की जेल में ही रहेगा।

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 31 जनवरी 2018 को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिनमें पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के तत्कालीन अधिकारी भी शामिल थे। यह प्राथमिकी बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश रच फर्जी तरीके से सार्वजनिक बैंक से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ जारी कराए।

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के मध्यम से बैंक विदेश में तब गारंटी देता है, जब ग्राहक कर्ज के लिए जाता है।

इस मामले में पहला आरोप पत्र 14 मई 2018 को दाखिल किया गया, जिसमें मोदी सहित 25 लोगों को आरोपी बनाया गया जबकि दूसरा आरोप पत्र 20 दिसंबर 2019 को दाखिल किया गया जिसमें पूर्व के 25 आरोपियों सहित 30 को नामजद किया गया।

नीरव मोदी सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले ही एक जनवरी 2018 को देश छोड़कर भाग गया था। इसके बाद जून 2018 में सीबीआई के अनुरोध पर इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेडकॉर्नर नोटिस जारी किया।

ब्रिटिश पुलिस ने मार्च 2019 को उसे लंदन से गिरफ्तार किया और तब से उसने कई बार जमानत के लिए आवेदन किए लेकिन वेस्टमिंस्टर अदालत और लंदन उच्च न्यायालय ने उन्हें खारिज कर दिया।

वहीं, सीबीआई ने ब्रिटेन से प्रत्यर्पण अनुरोध के साथ दस्तावेजी सबूत और गवाही ब्रिटिश अदालत में पेश की।

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