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कोवैक्सिन डील को लेकर ब्राजील में बवाल, संसदीय आयोग ने जताया भ्रष्टाचार का संदेह, कटघरे में राष्ट्रपति बोलसानारो

By अभिषेक पारीक | Updated: June 22, 2021 17:41 IST

भारत की स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन को ब्राजील में संभावित तकनीकी हस्तांतरण के साथ बेचने की पेशकश की गई थी। हालांकि आठ महीने बीतने के बावजूद अब तक किसी को भी कोवैक्सिन की एक भी डोज नहीं दी गई है।

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ठळक मुद्देसंसदीय जांच आयोग ने कोवैक्सिन सौदे में भ्रष्टाचार का संदेह जताया है। कोवैक्सिन सौदे को लेकर राष्ट्रपति जायर बोलसानारो कटघरे में हैं। बोलसानारो ने इस सौदे को लेकर काफी जोर दिया था। 

भारत की स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन को ब्राजील में संभावित तकनीकी हस्तांतरण के साथ बेचने की पेशकश की गई थी। इसे भारत के बढ़ते कौशल के रूप में प्रदर्शित किया गया था। हालांकि आठ महीने बीतने के बावजूद अब तक किसी को भी कोवैक्सिन की एक भी डोज नहीं दी गई है। हालांकि अब भारतीय कंपनी और ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय के मध्य स्थानीय फर्म द्वारा डील को लेकर की गई कथित दलाली संसदीय जांच आयोग (सीपीआई) का मुख्य फोकस बन चुकी है। यह आयोग ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो की सरकार द्वारा महामारी से निपटने की जांच कर रहा है। 

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, सौदे में भ्रष्टाचार का संदेह जताते हुए सीनेटर अब इसे एक घोटाले के तौर पर ले रहे हैं। 1.6 अरब रील्स (23.72 अरब रुपए) का यह सौदा दो करोड़ खुराक के लिए था। ब्राजील द्वारा किया गया यह सबसे महंगा सौदा था, जिसमें एक खुराक की कीमत 15 डॉलर (1,115 रुपए) है। 

कटघरे में राष्ट्रपति बोलसानारो

संसदीय जांच आयोग ने पहले ही बोलसानारो को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसे निवारक उपचार को बढ़ावा देने के लिए कटघरे में रखा है। अब इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा है कि राष्ट्रपति ने बार-बार फाइजर जैसे टीकों के प्रभावी होने पर संदेह किया और उन्हें हासिल करने में देरी की। साथ ही एक महंगे टीके के लिए जोर दिया, जिसे ब्राजील के दवा नियामक या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी अनुमोदित नहीं किया गया था। 

सरकार के समर्थन का सवाल

संघीय अभियोजक इस बात की जांच में जुटे हैं कि क्या सौदे के बीच में मौजूद फर्म प्रेसीसा मेडिकामेंटोस को सरकार का समर्थन था। सीपीआई के प्रतिनिधि सीनेटर रेनान कैलहेरोस ने कहा कि आयोग कोवैक्सीन की खरीद में सभी निंदनीय बातों का पता लगाएगा। उन्होंने कहा कि इसने हमारा ध्यान खींचा है क्योंकि यह सभी पहलुओं में एक असामान्य अधिग्रहण है। इसलिए, हमारे पास पृष्ठभूमि में हुई हर चीज में गहराई से जाने के लिए एक सप्ताह का समय होगा। 

नकारात्मक सुर्खियां बटोरीं

कोवैक्सिन ने देश में काफी नकारात्मक सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन पहली बार किसी राजनेता ने इसे स्कैंडल जैसे शब्द का प्रयोग किया है। पैनल के पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो दिखाते हैं कि सरकार ने आक्रामक रूप से भारत बायोटेक के साथ सौदे पर जोर दिया था। शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उसे कोवैक्सिन के आयात को लेकर असामान्य दबाव का सामना करना पड़ा था। अधिकारी ने एक अखबार को बताया कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एडुआर्डो पजुएलो के विश्वासपात्र लेफ्टिनेंट कर्नल एलेक्स लियाल मारिन्हो पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था। 

बोलसानारो ने पीएम मोदी को किया था फोन

जनवरी 2021 में भारत द्वारा भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को मंजूरी दिए जाने के बाद असाधारण आयात योजना के तहत निजी अस्पतालों और व्यवयायों के लिए कोवैक्सिन खरीदने का विचार रखा गया था। जिसके बाद बोलसानारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर इस विचार के पीछे अपना जोर लगा दिया। सीनेटर रेनान कैलहेरोस ने कहा कि यह इकलौता अधिग्रहण था, जिसके लिए भारत के प्रधानमंत्री को फोन किया गया। वैक्सीन के साथ सभी समस्याओं के बावजूद यह राष्ट्रपति की पसंद का संकेत था।

चालीस लाख खुराक के आयात की अनुमति

ब्राजील की संघीय सरकार ने फरवरी 2021 में मेडिकैमेंटोस/भारत बायोटेक से कोवैक्सिन की खुराक खरीदने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय कंपनी को पहली अस्सी लाख खुराक 20 से 30 दिनों में मार्च में भेजनी थी। जिसके बाद शेष अस्सी लाख अप्रैल में और आखिरी चालीस लाख मई में भेजनी थी। जबकि भारत बायोटेक ने एक बयान जारी कर अप्रैल में खुराक भेजनी शुरू करने और आखिरी खुराक सितंबर तक भेजने की बात कही थी। हालांकि 31 मार्च को तीसरा नियामक परीक्षण नहीं होने और अन्य बातों के कारण वैक्सीन लेने से मना कर दिया गया। हालांकि इसी महीने चार जून को ब्राजील की स्वास्थ्य नियामक एजेंसी ने चालीस लाख खुराक के आयात की अनुमति दी है। जिस पर ब्राजील में बहस छिड़ गई है। 

ब्राजील के लोगों में गुस्सा

 कोवैक्सिन की पैरवी करना अब ब्राजील के राष्ट्रपति के लिए महंगा साबित हो सकता है। ब्राजील में कोविड-19 के कारण बड़े पैमाने पर लोग मरे हैं। इसके चलते लोगों का गुस्सा फूट गया है और सड़क पर आ गए हैं। महामारी से निपटने की सच्चाई का पता लगाने के लिए संसदीय आयोग का गठन किया गया है। कार्यवाही के सीधे प्रसारण से जहां मंत्री और अधिकारी परेशान हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग की खामियां भी सामने आई हैं। 

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