नई दिल्ली:बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और वो देश छोड़कर भाग गई हैं, ऐसी खबरें मीडिया रिपोर्ट के जरिए सामने आई। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से बताया कि बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को सोमवार को एक सैन्य हेलीकॉप्टर से भारत लाया गया, क्योंकि सरकार विरोधी आंदोलन के बीच हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी।
दूसरी तरफ बांग्लादेशी दैनिक प्रथम आलो की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम के जाने के बाद हजारों प्रदर्शनकारियों ने ढाका में उनके आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया। इस बीच एक बात और गौर करने वाली है कि इससे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और भी कई ऐसा नेता हुए, जिन्होंने इसी तरह इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर भाग निकले। आइए एक-एक कर जानते हैं आखिर वो कौन सी परिस्थितियां बनीं, जिसके कारण इन सभी को ये कदम उठाना पड़ा।
गोटबाया राजपक्षे (श्रीलंका)इससे पहले गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में आंदोलन के बीच पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भागे थे। हालांकि, उनके देश से जाने के 7 दिनों बाद देश को नया राष्ट्रपति मिल गया था।
अशरफ गनी (अफगानिस्तान)साल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने देश पर कब्जा जमा लिया था। सेना के जाने के बाद और स्थिति न नियंत्रित हो पाने के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी रातोंरात अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गए थे।
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति गनी एक प्राइवेट जेट से काबुल एयरपोर्ट पहुंचे। खबर ये भी आया था कि इस दौरान वो अपने साथ काफी सारा कैश ले गए थे। तब ये भी देखा गया था, जब वो हवाई जहाज में बैठे थे, तो उन्हें काफी पैसा रनवे पर ही छोड़ना पड़ा था।
परवेज मुशर्रफ (पाकिस्तान)पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए जाने के बाद देश छोड़ दिया था। हालांकि, 1999 में एक तख्तापलट में निर्वाचित नवाज शरीफ सरकार को गिराने के बाद मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। वो अगस्त, 2008 तक इस पद पर रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरन कई ऐसे फैसले लिए, जिससे देश को काफी नुकसान हुआ।
एरिक होनेकर (जर्मनी)1971 में पूर्वी जर्मनी के कम्युनिस्ट नेता एरिक होनेकर शीत युद्ध के दौर में एकाएक कई अपराधों में अपने ऊपर मुकदमा चलने से बचने के लिए वह पत्नी के साथ मास्को भाग गए थे। उनके शासन में पश्चिम बर्लिन में दीवार पार करने की कोशिश करते समय अनुमानित 125 पूर्वी जर्मन मारे गए थे। इसके बाद उन्हें लोकतांत्रिक सुधारों के मद्देनजर 1989 में एरिक को सत्ता से हटा दिया था।