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सुलेमानी की हत्याः ईरान ने अमेरिकी सेना को घोषित किया आतंकी, यूएस ने विदेश मंत्री जरीफ को वीजा देने से इनकार किया

By भाषा | Updated: January 7, 2020 14:28 IST

ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कुद्स फोर्स के प्रमुख के तौर पर सुलेमानी, लेबनान और इराक से सीरिया और यमन तक क्षेत्रीय सत्ता संघर्षों में तेहरान के हस्तक्षेप को देखते थे।

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ठळक मुद्देअमेरिका को उम्मीद थी कि ड्रोन हमले में सुलेमानी के मारे जाने से ईरान और उसके प्रतिनिधियों के नेटवर्क को झटका लगेगा।उसकी यह योजना उस पर भारी पड़ती दिख रही है क्योंकि इसने ईरान के समर्थकों को एकजुट कर दिया है।

अमेरिका ने पश्चिम एशिया में ईरान के प्रभाव को कम करने के मकसद से जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इस्लामी गणराज्य के सहयोगी इस घटना के बाद से और एकजुट हो गए हैं।

ईरान की संसद ने मंगलवार को एक विधेयक पारित कर सभी अमेरिकी बलों को ‘‘आतंकवादी’’ घोषित किया। जनरल कासिम सुलेमानी के बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कुद्स फोर्स के प्रमुख के रूप में सुलेमानी पर लेबनान और इराक से लेकर सीरिया और यमन तक क्षेत्रीय सत्ता संघर्षों में तेहरान के हस्तक्षेप की जिम्मेदारी थी।

इस नए विधेयक के अनुसार सभी अमेरिकी बलों और पेंटागन और संबद्ध संगठनों, एजेंटों और कमांडरों के कर्मचारियों और सुलेमानी की ‘‘हत्या’’ का आदेश देने वालों को ‘‘आतंकवादी’’ घोषित किया जाता है। संसद ने कहा, ‘‘सैन्य, खुफिया, वित्तीय, तकनीकी, सेवा या साजो सामान सहित इन बलों को कोई भी सहायता, आतंकवादी कार्य में सहयोग के रूप में मानी जाएगी।’’ इधर ईरानी कमांडर सुलेमानी की हत्या के बाद उपजे तनाव के बीच अमेरिका ने ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ को वीजा देने से इनकार कर दिया।

ईरान की संसद ने मंगलवार को एक विधेयक पारित कर सभी अमेरिकी बलों को ‘‘आतंकवादी’’ घोषित किया। जनरल कासिम सुलेमानी के बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कुद्स फोर्स के प्रमुख के रूप में सुलेमानी पर लेबनान और इराक से लेकर सीरिया और यमन तक क्षेत्रीय सत्ता संघर्षों में तेहरान के हस्तक्षेप की जिम्मेदारी थी।

ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कुद्स फोर्स के प्रमुख के तौर पर सुलेमानी, लेबनान और इराक से सीरिया और यमन तक क्षेत्रीय सत्ता संघर्षों में तेहरान के हस्तक्षेप को देखते थे। अमेरिका को उम्मीद थी कि ड्रोन हमले में सुलेमानी के मारे जाने से ईरान और उसके प्रतिनिधियों के नेटवर्क को झटका लगेगा लेकिन उसकी यह योजना उस पर भारी पड़ती दिख रही है क्योंकि इसने ईरान के समर्थकों को एकजुट कर दिया है।

इस्लामी आंदोलनों को समझने वाले लेबनान के विशेषज्ञ कासिम कासिर ने कहा, “हमले ने प्रतिरोधी बलों को एकजुट कर दिया है और अमेरिका से निपटने को प्राथमिकता बना दिया है।” कासिर ने कहा, “यह हत्याकांड एक रणनीतिक गलती थी, और इस पर प्रतिक्रिया इराक से ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र से मिलेगी।” इराक में धुर अमेरिका विरोधी सशस्त्र धड़े कताएब हिज्बुल्ला ने कहा कि यह हमला, “क्षेत्र में अमेरिकी मौजूदगी के खत्म होने की शुरुआत है।”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि यदि ईरान अपने शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की कोशिश करता है तो अमेरिका ‘‘बड़ी जवाबी कार्रवाई करेगा’’ और ईरानी सांस्कृतिक स्थलों पर बमबारी की जाएगी।

ट्रम्प ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यदि वे कुछ करते हैं तो बड़ी जवाबी कार्रवाई होगी। ’’ ट्रम्प का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते को अब नहीं मानने का फैसला किया है। फ्लोरिडा में छुट्टियां बिताकर वाशिंगटन लौट रहे ट्रम्प ने ‘एयर फोर्स वन’ विमान से यह भी कहा कि यदि इराक अपने देश में अमेरिकी सैन्य बलों को बाहर निकालने को लेकर संसद में पारित प्रस्ताव का पालन करता है तो अमेरिका इराक पर ‘‘बहुत कड़े प्रतिबंध’’ लगाएगा।

ट्रम्प ने पहले भी धमकी दी थी कि यदि ईरान अमेरिकी बलों या हितों पर हमला करता है तो उस पर जवाबी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा था कि अमेरिका ईरान में सांस्कृतिक स्थलों को भी निशाना बना सकता है। ट्रम्प ने इस चेतावनी को लेकर हो रही उनकी आलोचनाओं को अपने ताजा बयान में खारिज कर दिया।

ट्रम्प ने कहा, ‘‘ उन्हें हमारे लोगों को मारने की अनुमति है। उन्हें हमारे लोगों का उत्पीड़न करने का अधिकार है। उन्हें सड़क किनारे बम विस्फोट करने और हमारे लोगों को उड़ाने की अनुमति है और हमें उनके सांस्कृतिक स्थलों को भी छूने का अधिकार नहीं है? ऐसा नहीं चलेगा।’’ इराक की संसद ने देश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी समाप्त करने की अपील संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में रविवार को मतदान किया। प्रस्ताव का मुख्य लक्ष्य अमेरिका को इराक के विभिन्न हिस्सों में मौजूद करीब 5,000 अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने को कहना है। ट्रम्प ने कहा, ‘‘ यदि वे हमें जाने को कहते हैं, यदि यह मित्रवत रूप से नहीं किया जाता है, तो हम उन पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाएंगे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इन प्रतिबंधों से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध भी छोटे लगने लगेंगे। ’’ ट्रम्प ने कहा कि इराक में अमेरिका का सैन्य अड्डा ‘‘ बेहद महंगा है। यदि वे हमें इसके लिए भुगतान नहीं करते तो हम वापस नहीं जाएंगे’’। इस बीच, ट्रम्प ने ट्वीट किया कि यदि वह ईरान के खिलाफ हमला करने का फैसला करते हैं, तो इस संबंध में पहले किए गए उनके ट्वीट अमेरिकी कांग्रेस को पूर्व में दी गई अधिसूचना समझे जांएगे। दरअसल, डेमोक्रेटिक सांसदों ने सुलेमानी पर हमला करने से पहले कांग्रेस से विचार-विमर्श नहीं करने को लेकर अमेरिकी प्रशासन की निंदा की है।

ट्रम्प ने ईरान से जवाबी हमले की कार्रवाई संबंधी टिप्पणियों के बीच शनिवार को ट्वीट किया था, ‘‘ उन्होंने (ईरान ने) हम पर हमला किया और हमने जवाबी हमला किया। यदि वे फिर हमला करते हैं, तो हम उन पर अब तक का सबसे जोरदार हमला करेंगे। मैं उन्हें कोई हमला नहीं करने की सलाह देता हूं।’’

उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘अमेरिका ने सैन्य उपकरणों पर दो हजार अरब डॉलर अभी खर्च किए हैं। हम दुनिया में सबसे बड़े और सर्वश्रेष्ठ हैं। यदि ईरान अमेरिकी सैन्य अड्डे या किसी अमेरिकी पर हमला करता है तो हम अपने कुछ एकदम नए खूबसूरत उपकरण... बिना किसी हिचकिचाहट के उनके खिलाफ इस्तेमाल करेंगे ।’’

इससे पहले उन्होंने शनिवार को ट्वीट करके चेतावनी दी थी कि यदि ईरान अमेरिकी जवानों या सम्पत्ति पर हमला करता है तो अमेरिका 52 ईरानी स्थलों को निशाना बनाएगा और उन पर ‘‘बहुत तेजी से और जोरदार हमला’’ करेगा। इस बीच, तेहरान से मिली खबर के अनुसार ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के पूर्व प्रमुख मोहसिन रेजाई ने ट्वीट करके चेतावनी दी कि यदि अमेरिका ईरान की सैन्य कार्रवाई के बाद कोई कदम उठाता है तो वे इजराइली शहरों हइफा और तेल अवीव को ‘‘खाक में मिला’’ दिया जाएगा।

गौरतलब है कि ईरान के साथ हुए बहुपक्षीय समझौते से अमेरिका के पीछे हटने और उस पर फिर से प्रतिबंध लगाने के जवाब में ईरान ने परमाणु समझौते से पीछे हटने से संबंधित अपने पांचवें कदम को अंतिम रूप देने की घोषणा की थी। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसावी ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा था, ‘‘ पांचवें कदम के संबंध में फैसला पहले ही किया जा चुका है... लेकिन मौजूदा स्थिति पर विचार किया जा रहा है। आज रात (रविवार रात) होने वाली अहम बैठक में कुछ अहम बदलाव किए जाएंगे। ’’

दरअसल, ईरान ने शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में बगदाद में मेजर जनरल सुलेमानी (62) के मारे जाने के बाद बदला लेने का संकल्प लिया है। इस हमले में इराक के हशद अल शाबी अर्द्धसैनिक बल के उप प्रमुख भी मारे गए हैं।

ईरान पर अमेरिकी हमले से उलझ सकता है उत्तर कोरिया का मामला

अमेरिकी हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर की हत्या की घटना से उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण का कूटनीतिक हल प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाशिंगटन और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से इस तरह का समाधान निकलने की पहले से कमजोर पड़ चुकी संभावना और भी धूमिल हो जाएगी और उत्तर कोरिया के निर्णय निर्माता हथियारों पर अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए प्रेरित होंगे।

उत्तर कोरिया ने जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की घटना पर जो शुरुआती प्रतिक्रिया व्यक्त की वह बेहद सतर्कता भरी थी। देश के सरकारी मीडिया ने कई दिन तक इस पर चुप्पी साध रखी थी। उसने सोमवार को हमले पर एक रिपोर्ट जारी की लेकिन इसमें सुलेमानी का नाम तक नहीं था।

कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में प्योंगयांग की ओर से वाशिंगटन की सीधे कोई आलोचना नहीं की गई, इसमें बस इतना कहा गया कि चीन और रूस ने पिछले हफ्ते बगदाद के हवाईअड्डे पर अमेरिकी हवाई हमले की निंदा की है।

उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम के बचाव में आमतौर पर ईराकी नेता सद्दाम हुसैन और लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी का नाम लेता है और कहता है कि अगर उन्होंने परमाणु हथियार हासिल कर लिए होते और अमेरिका के आगे समर्पण नहीं किया होता तो आज वे जिंदा होते और सत्ता का आनंद उठा रहे होते। 

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