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अनुच्छेद 370ः पीएम इमरान ने कहा- जब तक जम्मू-कश्मीर से कर्फ्यू हटा नहीं लिया जाता, तब तक भारत के साथ कोई बातचीत नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 18, 2019 18:01 IST

पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का भौतिक अधिकार क्षेत्र लेने के लिए भारत के आक्रामक रुख का संज्ञान लेने का अनुरोध करते हुए चेतावनी दी है कि इस तरह के बयानों से तनाव और बढ़ सकता है तथा क्षेत्र में अमन चैन बिगड़ सकता है।

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ठळक मुद्देभारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस दावे के बाद आया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है।जयशंकर ने यह भी कहा कि इस बारे में एक सीमा से ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे।

जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान में घमासान जारी है। 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करेंगे।

इमरान खान लगातार जम्मू-कश्मीर पर बोल रहे हैं। अब इमरान खान ने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर से कर्फ्यू हटा नहीं लिया जाता तब तक कश्मीर पर भारत के साथ बातचीत का कोई मौका नहीं है। अनुच्छेद 370 को लेकर इमरान खान पाकिस्तान सहित पूरे विश्व में अलग राह अलाप रहे हैं।

पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का भौतिक अधिकार क्षेत्र लेने के लिए भारत के आक्रामक रुख का संज्ञान लेने का अनुरोध करते हुए चेतावनी दी है कि इस तरह के बयानों से तनाव और बढ़ सकता है तथा क्षेत्र में अमन चैन बिगड़ सकता है।

पाकिस्तान का यह बयान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस दावे के बाद आया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है और हमें एक दिन इसे अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की उम्मीद है।

जयशंकर ने यह भी कहा कि इस बारे में एक सीमा से ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे क्योंकि यह एक आंतरिक मुद्दा है जिस पर भारत का रुख स्पष्ट है और स्पष्ट रहेगा। मई में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पद संभालने के बाद से नयी दिल्ली में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत को एक पड़ोसी से ‘अनोखी चुनौती’ है और यह चुनौती तब तक बनी रहेगी जब तक पड़ोसी सामान्य पड़ोसी नहीं बन जाता और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता।

पाकिस्तान के साथ अब बातचीत केवल पीओके पर होने, कश्मीर पर नहीं होने संबंधी भारत के कुछ नेताओं के बयान के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘पीओके पर हमारा रुख बहुत साफ रहा है, बहुत साफ है और रहेगा कि यह भारत का हिस्सा है तथा हम एक दिन इसे अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की उम्मीद करते हैं।’’ जयशंकर के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध करता है कि पीओके पर भारत के आक्रामक रुख का गंभीरता से संज्ञान लें। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत के इस तरह के गैरजिम्मेदाराना और भड़काने वाले बयानों से तनाव और बढ़ सकता है तथा क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को गंभीर नुकसान हो सकता है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘हम भारत के विदेश मंत्री द्वारा पाकिस्तान और पीओके के संबंध में दिये गये भड़काऊ और गैरजिम्मेदाराना बयानों की कड़ी निंदा करते हैं और उन्हें खारिज करते हैं।’’ पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के बयान में आरोप लगाया गया, ‘‘ये बयान कश्मीर में भयावह तरीके से मानवाधिकार उल्लंघन की सतत अंतरराष्ट्रीय निंदा को लेकर भारत की अत्यंत निराशा की स्पष्ट अभिव्यक्ति हैं।’’ बयान में कहा गया कि ‘‘भारत इस मामले में पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराकर कश्मीर की बेगुनाह जनता के खिलाफ अपने अपराधों से अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान हटा नहीं सकता।’’

इसमें कहा गया कि पाकिस्तान शांति के लिए खड़ा है, लेकिन किसी भी तरह के आक्रामक रुख पर असरदार तरीके से जवाब देने के लिए सक्षम है। पाकिस्तान ने इस बयान में कहा कि ‘‘भारत को अपनी देशभक्ति का राग अलापने के बजाय अपनी अवैध कार्रवाइयों को बंद करना चाहिए, जम्मू कश्मीर में गंभीर रूप से हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकना चाहिए, अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने से बचना चाहिए तथा जम्मू कश्मीर के मसले के अंतिम समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पूरी तरह पालन करना चाहिए।’’

भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को समाप्त कर दिया था जिसके बाद से पाकिस्तान के साथ उसका तनाव बढ़ गया है। कश्मीर मुद्दे पर भारत के फैसलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान ने नयी दिल्ली के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को कमतर किया तथा भारतीय उच्चायुक्त को हटा दिया था। पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की पुरजोर कोशिश में लगा है जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करना उसका आंतरिक मामला है।

नयी दिल्ली ने इस्लामाबाद से हकीकत को कबूलने तथा भारत विरोधी बयानों पर रोक लगाने को भी कहा। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर मुद्दे को 27 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सत्र में उठाने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसी दिन महासभा को संबोधित कर सकते हैं। यूएनजीए से इतर भारत और पाकिस्तान के नेताओं की मुलाकात की संभावना के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इस समय रिश्तों के माहौल पर नजर तो डालिए। मुझे लगता है कि वह अपने आप में वो जवाब दे देगा जो आप तलाश रहे हैं।’’ 

यूरोपीय सांसदों ने कश्मीर पर भारत का समर्थन किया, पाकिस्तान की निंदा की

यूरोपीय सांसद रिस्जार्ड जारनेकी और फुल्वियो मार्तुससिएलो ने यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र की विशेष चर्चा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करते हुए उसे बड़ा लोकतंत्र बताया और आतंकवादियों को पनाह देने के लिए पाकिस्तान की निंदा की।

कश्मीर में स्थिति पर मंगलवार को एक चर्चा में यूरोपीय संसद और पोलैंड में यूरोपीय कंजर्वेटिव्स एंड रिफॉर्मिस्ट ग्रुप के सदस्य जारनेकी ने भारत को ‘‘दुनिया का बड़ा लोकतंत्र’’ बताया। जारनेकी ने कहा, ‘‘भारत दुनिया का महान लोकतंत्र है। हमें भारत के जम्मू कश्मीर में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर गौर करने की जरूरत है। ये आतंकवादी चांद पर से नहीं आते। ये पड़ोसी देश से आते हैं। हमें भारत का समर्थन करना चाहिए।’’

यूरोपीय संसद और इटली में ग्रुप ऑफ यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स) के सदस्य मार्तुससिएलो ने कहा कि पाकिस्तान ने परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की धमकी दी जो यूरोपीय संघ के लिए चिंता का सबब है। उन्होंने पाकिस्तान पर मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान ऐसी जगह है जहां आतंकवादी यूरोप में खूनी आतंकवादी हमले करने की योजना बना पाए।’’ यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष फेडेरिका मोघरिनी की तरफ से चर्चा की शुरुआत करते हुए यूरोपीय संघ की मंत्री त्यत्ती तप्पुरैनेन ने कहा, ‘‘कोई भी कश्मीर में और तनाव बढ़ने का जोखिम मोल नहीं ले सकता।’’

यूरोपीय संघ की मंत्री ने भारत और पाकिस्तान से वार्ता के जरिए कश्मीर मुद्दा हल करने की मांग करते हुए नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ की कश्मीरी आबादी के हितों के सम्मान में शांतिपूर्ण और राजनीतिक हल निकालने का आह्वान किया। उन्होंने भारत से घाटी में संचार के माध्यम बहाल करने की अपील की। भारत ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया था। कश्मीर पर भारत के कदम की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने नयी दिल्ली के साथ कूटनीतिक संबंधों को कमतर कर दिया था । 

टॅग्स :पाकिस्तानआर्टिकल 35A (अनुच्छेद 35A)संयुक्त राष्ट्रइमरान खानइंडिया
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