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खतरे में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की कुर्सी!, कोरोना व आर्थिक संकट के बीच बढ़ रही है सेना की पकड़

By अनुराग आनंद | Updated: June 10, 2020 19:38 IST

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के अहम पदों पर दर्जनभर से ज्यादा मौजूदा और पूर्व मिलिट्री ऑफिसर बैठे हैं। 

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ठळक मुद्देइमरान खान सरकार में सेना के इन दर्जनों अधिकारियों की नियुक्ति पिछले दो महीने में हुए हैं। सेना के दवाब में पाकिस्तानी सरकार 'बड़ी संख्या में मौजूदा और रिटायर्ड मिलिट्री अधिकारियों को नियुक्त कर रही है।पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा चुकी है, महंगाई बढ़ती जा रही है।

नई दिल्ली:पाकिस्तान इन दिनों विश्व के दूसरे देशों की तरह कोरोना महामारी का सामना कर रहा है। कोरोना महामारी की वजह से एक तरफ जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव की वजह से लोगों में इमरान सरकार के प्रति गुस्सा है। इसके अलावा, पाकिस्तान की पहले से सुस्त अर्थव्यवस्था पर अब कोरोना महामारी का भी भारी असर पड़ा है।  

इन्हीं सब वजहों से पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से पाकिस्तान में इमरान खान की लोकप्रियता में कमी आई है। ऐसे में संभावना है कि एक बार फिर से पाकिस्तानी फौज देश की सत्ता को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर सकती है। एनडीटीवी रिपोर्ट की मानें तो सरकार की अहम पदों पर दर्जनभर से ज्यादा मौजूदा और पूर्व मिलिट्री ऑफिसर बैठे हैं। 

रिपोर्ट की मानें तो इमरान सरकार में इन अधिकारियों की नियुक्ति पिछले दो महीने में हुए हैं। यही नहीं पीएम इमरान के ज्यादातर फैसले सेना मुख्यालय की सहमति से ही लिए जाते हैं। ऐसे में साफ है कि सेना सरकार की लोकप्रियता में कमी का फायदा उठाते हुए अपने पकड़ को मजबूत कर रही है।

सेना को नियुक्त कर आम लोगों की नौकरियां समाप्त कर रही सरकार-रिपोर्ट से साफ होता है कि सेना के दवाब में पाकिस्तानी सरकार 'बड़ी संख्या में मौजूदा और रिटायर्ड मिलिट्री अधिकारियों को अहम पदों पर नियुक्त कर रही है। इस तरह सरकार आम नागरिकों के लिए देश में नीतियों के विकास और क्रियान्वन के लिए बतौर सरकारी अधिकारी नौकरी करने के अवसरों को खत्म कर रही है।

कोरोना वायरस महामारी से लेकर चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना में पाकिस्तान के 60 बिलियन डॉलर के निवेश को लागू किए जाने पर भी ज्यादातर सेना के अधिकारी ही  नजर रखते हैं। एक तरह से देखा जाए तो सरकार के ज्यादातर विभागों में सेना का दबदबा है।

कैबिनेट के कम से कम 12 सैन्य अधिकारी परवेर मुशर्रफ प्रशासन में रह चुके हैं। इनमें इजाज शाह (आंतरिक मंत्री), अब्दुल हफीज शेख (खान के वित्तीय सलाहकार) शामिल हैं। इमरान खान की कम कीमत पर घर बनाने की योजना चलाने वाले जैगाम रिजवी का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि अगर सैन्य अधिकारियों को नेतृत्व दिया जाए, तो सेना के पास अच्छा सिस्टम होता है जिससे काम पूरा करा सकते हैं।

आर्थिक संकट, कमजोर अर्थव्यवस्था व भ्रष्टाचार से परेशान है इमरान खान की सरकार-बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा चुकी है, महंगाई बढ़ती जा रही है और इमरान खान के नजदीकियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो चुकी है। ऐसे में खान के असर और लोकप्रियता, दोनों को झटका लगा है। 

रिपोर्ट के मुताबिक खान की पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए छोटी पार्टियों के अलावा सेना के समर्थन की भी जरूरत है। यह कोई हैरान करने की बात नहीं है क्योंकि पाकिस्तान में सेना सबसे ताकतवर है और 70 साल के इतिहास में लंबे समय तक खुद शासन भी कर चुकी है। खान के मामले में यह नया इसलिए है क्योंकि 2018 में जब वह पद पर बैठे थे तो उन्होंने 'नए पाकिस्तान' का वादा किया था। लेकिन, कोरोना संकट के साथ ही साथ कमजोर अर्थव्यवस्था व भ्रष्टाचार की वजह से इमरान खान सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।

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