ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। दोनों देश एक-दूसरे को धमकी दे रहे हैं। इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वॉर पॉवर पर अंकुश लग सकता है। अमेरिकी संसद के निचले सदन से ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियों को सीमित करने का 'वॉर पावर्स' प्रस्ताव पारित हो गया है। अगर उच्च सदन में भी यह प्रस्ताव पारित हो गया, तो डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियां ईरान के खिलाफ युद्ध संबंधी निर्णय लेने में सीमित रह जाएंगी। हालांकि, उच्च सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है इसलिए ऐसा होना थोड़ा मुश्किल लगता है।
ईरान के सबसे ताकतवर शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। कुछ नहीं कहा जा सकता कि ईरान कब क्या कदम उठा ले। ऐसे में अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन ने वॉर पावर्स प्रस्ताव पारित कर डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियां कम करने की ओर एक कदम बढ़ाया है।
दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहना है कि ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों से बुरी तरह से परेशान है और उसके पास परमाणु हथियार कभी नहीं होंगे। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवादाताओं से कहा, ‘‘ईरान वर्तमान में अराजक है। वे अपनी अर्थव्यवस्था बहुत जल्द ठीक कर सकते हैं। देखते हैं कि वे बातचीत करेंगे अथवा नहीं।’’ इराक में अमेरिकी बलों पर ईरान के हमले के बाद उस पर नए प्रतिबंध लगाए गए हैं।
इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को संकेत दिया था कि वह इराक में अमेरिकी सैनिकों के ठिकानों पर ईरान के मिसाइल हमलों का जवाब सैन्य तरीके से नहीं देंगे, जिसके बाद दोनों देश युद्ध की स्थिति में पहुंचने से पहले अपने कदम थामते दिखे। ईरान के हमलों में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन क्षेत्र में अमेरिकी बल सतर्कता बरत रहे हैं।
ईरान ने इराक स्थित अमेरिकी सेना और गठबंधन बलों के कम से कम 2 ठिकानों पर 22 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं। ईरान ने कहा था कि यह हमला अमेरिका के ‘चेहरे पर एक तमाचा’ है।