नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा अपनाई गई नई विदेश नीति में बताया गया है कि वैश्विक मंचों पर भारत और चीन उसके मुख्य सहयोगी हैं। विदेश नीति से संबंधित 42 पन्नों के दस्तावेज में भारत और रूस को रणनीतिक साझीदार बताते हुए संबंधों को और गहरा करने पर बल दिया गया है।
भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी पांच मुख्य स्तंभों - राजनीति, रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और अंतरिक्ष पर आधारित है। भारत और रूस ने हाल ही में अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई है। दोनों देशों के संबंध शीत युद्ध के समय से ही गहरे रहे हैं। दस्तावेज के अनुसार, रूस पारस्परिक रूप से लाभकारी आधार पर सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और विस्तार करने की दृष्टि से भारत के साथ विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना जारी रखेगा। इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने, निवेश और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने पर विशेष जोर देगा।
रूस की तरफ से आई ये खबर भारत के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि शुक्रवार, 31 मार्च को ही भारत और अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का जिक्र करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के उप सहायक और भारत-प्रशांत क्षेत्र में समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने कहा है कि 21वीं सदी में भारत -अमोरिका संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं। कर्ट कैंपबेल ने शुक्रवार, 31 मार्च को सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (CNAS) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि हमें उस भूमिका को समझने की जरूरत है जो भारत निभाएगा।
हालांकि अमेरिका और रूस के रिश्ते अपने सबसे खराब दौर हैं। दूसरी तरफ रूस के दूसरे मित्र देश चीन के साथ भारत के रिश्ते अपने सबसे खराब दौर हैं। चीन से निपटने के लिए अमेरिका और भारत को एक दूसरे की जरूरत है, वहीं अमेरिका से निपटने के लिए रूस को चीन की जरूरत है। ऐसे में भारत के लिए वैश्विक कूटनीति के लिहाज से यह सबसे अहम समय है।