नई दिल्ली: तालिबान के राज में अफगानिस्तान में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिससे हर कोई हैरान है। दरअसल इस तिमाही सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में अफगानिस्तान की मुद्रा वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इस तिमाही में अफगानी मुद्रा लगभग 9 प्रतिशत ऊपर चढ़ी है।
अफगानी मुद्रा के अच्छा प्रदर्शन करने के पीछ कई कारण हैं। मानवीय सहायता से मिले अरबों डॉलर और एशियाई पड़ोसियों के साथ बढ़ते व्यापार ने अफगानिस्तान की मुद्रा को इस तिमाही में वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचाने में मदद की है। अफगानिस्तान दुनिया के सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों में गिना जाता है। गरीबी से जूझ रहे देश के लिए ऐसी उपलब्धि हासिल करना एक असमान्य बात है।
बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर दो साल पहले ही कब्जा किया था। इसके बाद बनी तालिबान की सरकार ने देश की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं। तालिबान ने स्थानीय लेनदेन में डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही अफगानी मुद्रा को देश के बाहर ले जाने पर भी रोक लगाई है। तालिबान ने ऑनलाइन ट्रेडिंग को अवैध बना दिया है और नियमों का उल्लंघन करने वालों को कारावास की कड़ी सजा का प्रावधान किया है।
ब्लूमबर्ग शो द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार इस तिमाही कोलंबियाई पेसो में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं पूरे साल की बात करें तो इस वर्ष अफगानी मुद्रा में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सालाना आंकड़ों के आधार पर अच्छा प्रदर्शन करने के मामले में कोलंबिया और श्रीलंका की मुद्राओं के बाद अफगानी मुद्रा वैश्विक सूची में तीसरे स्थान पर है।
हाल ही में अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज तालिबान ने देश में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों के खनन के लिए चीन, तुर्की और ईरान की कंपनियों से एक अहम डील की है। 6.5 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की सात खदानों के खनन का लाइसेंस चीन, तुर्की और ईरान की कंपनियों को दिया गया है। अफग़ानिस्तान में कई ट्रिलियन डॉलर की खनिज संपदाएं है, जिसमें तेल, प्राकृतिक गैस, बहुत से क़ीमती खनिज व पत्थर, सोना, लोहा, ताँबा और विरल खनिज (रेयर अर्थ मटेरियल) और लीथियम हैं। इन खनिजों के दम पर तालिबान देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करना चाहता है।