अमेरिका की मदद करने वाले 8 हजार अफगानियों को कतर में मिलेगी पनाह, CNN का दावा आखिरी दौर में है बातचीत
By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 14, 2021 15:21 IST2021-08-14T15:18:49+5:302021-08-14T15:21:24+5:30
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन को खत्म करने के लिए 31 अगस्त की तारीख निर्धारित की है।

किर्बी ने कहा कि पेंटागन अतिरिक्त 4,500 से 5,000 सैनिकों को खाड़ी देश कतर और कुवैत में सैन्य ठिकानों पर भेज रहा है।
काबुलः तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान के बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है, जिसकी सुरक्षा शक्तिशाली पूर्व छत्रप कर रहे हैं। अफगानिस्तान के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इस बीत खबर है कि अमेरिका कतर के साथ हजारों अफगानों को घर देने के लिए समझौता कर रहा है। अफगानिस्तान में खराब स्थिति होने के बाद सेना ने मदद करने की कोशिश की है। समझौते के तहत हजारों शरणार्थियों को अस्थायी रूप से पनाह दी जाए।
सीएनएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शरणार्थियों की संख्या 8,000 तक जा सकती है और अगर समझौते पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो अफगान नागरिकों का पहला समूह जल्द ही दोहा पहुंच सकता है। पेंटागन में ब्रीफिंग में किर्बी ने कहा, ‘‘उनकी हरकतों से यह साफ नजर आता है कि वे काबुल को अलग-थलग करने का प्रयास कर रहे हैं।’’
NEW: US nearing deal with Qatar to house thousands of Afghans who helped US military as situation worsens in Afghanistan. Source familiar tells @MarquardtA it could be as many as 8k Afghans but cautioned the deal is not final.https://t.co/LcQmGKXJVF
— CNN NationalSecurity (@NatSecCNN) August 14, 2021
किर्बी ने कहा कि पेंटागन अतिरिक्त 4,500 से 5,000 सैनिकों को खाड़ी देश कतर और कुवैत में सैन्य ठिकानों पर भेज रहा है। उन्होंने कहा कि इनके अलावा अमेरिका के लिए काम करने वाले और तालिबान से डरे हुए अफगान नागरिकों और उनके परिजनों के विशेष आव्रजक वीजा आवेदनों के तेजी से निस्तारण में विदेश विभाग को मदद देने के लिए आने वाले दिनों में सेना और वायु सेना के करीब 1,000 जवानों को कतर भेजा जाएगा जिनमें सेना पुलिस और चिकित्सा कर्मी शामिल होंगे।
पेंटागन 3,500 से 4,000 सैनिकों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के लिहाज से कुवैत भेजेगा। उन्होंने कहा कि काबुल में जो 3,000 सैनिक भेजे जा रहे हैं, उनके अतिरिक्त अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें उक्त सैनिकों में से भेजा जाएगा।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी शहर के बचाव की कोशिशों के तहत बुधवार को मजार-ए-शरीफ गए थे और उन्होंने सरकार से संबद्ध कई मिलिशिया कमांडरों के साथ बैठक की थी। पिछले 24 घंटे में देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर - पश्चिम में हेरात और दक्षिण में कंधार पर नियंत्रण के बाद तालिबान ने हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया है। लगभग दो दशक के युद्ध के दौरान हेलमंद में सैकड़ों की संख्या में विदेशी सैनिक वहां मारे गए थे। दक्षिणी क्षेत्र पर कब्जे का मतलब है कि तालिबान ने 34 प्रांतों में से आधे से ज्यादा की राजधानियों पर नियंत्रण बना लिया है।
अफगानिस्तान नियंत्रण से बाहर हो रहा है : संयुक्त राष्ट्र प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस बात पर चिंता जताते हुए कि अफगानिस्तान में हालात “नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं”, तालिबान से फौरन हमले रोकने को कहा। उन्होंने कहा कि सैन्य ताकत के जरिए सत्ता छीनना एक "असफल कदम" है और यह सिर्फ और सिर्फ लंबे समय तक गृहयुद्ध चलने का और युद्धग्रस्त राष्ट्र के पूरी तरह से अलग-थलग होने का कारण बन सकता है।
तालिबान ने देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर - हेरात और कंधार पर कब्जा कर लिया है। तालिबानी चरमपंथी अफगानिस्तान में तेजी से अपने पैर जमाते जा रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि देश का 60 प्रतिशत हिस्सा उनके नियंत्रण में चला गया है। इस बात को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है कि काबुल भी जल्द ही तालिबान के हाथों में जाने वाला है।
गुतारेस ने शुक्रवार को कहा, “ऐसा देश जो दुखद रूप से पीढ़ियों से संघर्षों के लिए जाना जाता है, अफगानिस्तान एक बार फिर अराजक एवं हताशा भरे दौर का सामना कर रहा है- जो लंबे समय से पीड़ित उसके लोगों के लिए अविश्वसनीय त्रासदी है।” उन्होंने देश में ‘गंभीर स्थिति” पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, “अफगानिस्तान नियंत्रण से बाहर हो रहा है।”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने देश भर की प्रांतीय राजधानियों पर तेजी से कब्जा कर रहे तालिबान से तत्काल हमले रोकने की और अफगानिस्तान और उसके लोगों के हित में “ईमानदारी से बातचीत” करने की अपील की। गुतारेस ने कहा, “युद्ध के मार्ग पर चल रहे लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का संकेत स्पष्ट है : सैन्य ताकत से सत्ता हासिल करना एक विफल कदम है। यह केवल लंबे समय तक गृहयुद्ध या अफगानिस्तान के पूर्ण अलगाव का कारण बनेगा।”