Afghanistan: तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान, जर्मनी ने 25 करोड़ यूरो पर रोक लगाई, जानें ब्रिटेन और डेनमार्क का हाल
By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 18, 2021 16:06 IST2021-08-18T16:05:26+5:302021-08-18T16:06:50+5:30
Afghanistan news updates: जर्मनी की विकास एजेंसी जीआईजेड के अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों और सभी जर्मन नागरिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है।

जर्मनी की सरकार की वर्ष 2021 में विकास सहायता के रूप में करीब 25 करोड़ यूरो की राशि जारी करने की योजना थी।
Afghanistan news updates: तालिबान के नियंत्रण के बाद जर्मनी ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली विकास सहायता निलंबित कर दी है। जर्मनी के विकास मंत्री गर्ड मुलर ने स्थानीय मीडिया से कहा कि ''सरकारी विकास सहायता को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है।''
उन्होंने कहा कि जर्मनी की विकास एजेंसी जीआईजेड के अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों और सभी जर्मन नागरिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है। साथ ही कहा कि जर्मनी स्थानीय अफगान कर्मियों को भी बाहर निकालने का प्रयास कर रहा था।
जर्मनी की समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक अफगानिस्तान ऐसा देश रहा है, जिसे जर्मनी की तरफ से दुनिया में सबसे अधिक विकास सहायता प्रदान की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी की सरकार की वर्ष 2021 में विकास सहायता के रूप में करीब 25 करोड़ यूरो की राशि जारी करने की योजना थी, हालांकि, अभी इस राशि को जारी नहीं किया गया था।
ब्रिटेन अफगानिस्तान में मानवीय सहायता में लगभग दस प्रतिशत की वृद्धि करेगा
ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा कि सरकार की अफगानिस्तान में मानवीय सहायता ‘‘शायद दस प्रतिशत तक’’ बढ़ाने की योजना है। राब ने कहा कि अफगानिस्तान में विकास और मानवीय उद्देश्यों के लिए सहायता बजट को फिर से तय किया जाएगा और तालिबान को सुरक्षा के लिए पहले से निर्धारित धनराशि नहीं मिलेगी।
मुझे नहीं लगता कि हम आम अफगानों को मानवीय राहत प्रदान करने पर कोई शर्त रखेंगे। उन्होंने कहा कि सहायता तालिबान द्वारा शासन जैसे कुछ मानदंडों को पूरा करने पर आधारित नहीं होगी। ब्रिटिश सरकार अफगान नागरिकों के लिए ‘‘खुले दिल’’ से शरण नीति की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और गृह मंत्री प्रीति पटेल द्वारा इसका विवरण निर्धारित किया जाएगा।
डेनमार्क अफगानिस्तान को 1.6 करोड़ डॉलर की सहायता देगा
डेनमार्क अफगानिस्तान को रेड क्रॉस और संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से 1.6 करोड़ डॉलर दे रहा है क्योंकि वहां ‘‘निकट भविष्य में स्थिति और खराब होने की उम्मीद है।’’ डेनमार्क के विदेश सहायता मंत्री फ्लेमिंग मोलर मोर्टेंसन ने स्थिति को ‘‘बहुत चिंताजनक’’ बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान के सत्ता में आने से पहले ही, लगभग आधी आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर थी, और निकट भविष्य में स्थिति और खराब होने की आशंका है।’’ गौरतलब है कि दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है।

