अफगानिस्तान के जलालाबाद में जज की हत्या, एक महीने में तीसरे न्यायाधीश को मारी गई गोली
By विनीत कुमार | Updated: February 4, 2021 12:12 IST2021-02-04T12:12:19+5:302021-02-04T12:12:19+5:30
अफगानिस्तान के जलालाबाद में बुधवार को बंदूकधारियों ने एक जज की गोली मारकर हत्या कर दी। इससे पहले इसी महीने अफगानिस्तान दो और महिला जजों की गोली मारकर हत्या की जा चुकी है।

अफगानिस्तान में जज को मारी गई गोली (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अफगानिस्तान के जलालाबाद में एक और जज हफिजुल्ला को जान से मारने का मामला सामने आया है। पुलिस के अनुसार पिछले एक महीने में तीन जजों की हत्या की जा चुकी है। ताजा घटना बुधवार की है।
नानगरहार प्रांत की पुलिस के प्रवक्ता फरीद खान ने बताया कि जस्टिस हफिजुल्ला पर हमला उस समय किया गया जब वे एक मोटर रिक्शा पर सवार होकर काम के लिए जा रहे थे।
वहीं, जलालाबाद पब्लिक हॉस्पिटल के एक डॉक्टर के अनुसार हफिजुल्ला के शरीर में कई बुलेट मिले हैं। गौरतलब है कि इससे पहले काबुल में सुप्रीम कोर्ट के लिए काम करने वाली दो महिला न्यायाधीशों की भी 17 जननरी को कुछ बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
महिला जजों की हत्या के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि इस हमले के पीछे तालिबान का हाथ नहीं है। अफगानिस्तान सरकार ने हालिया महीनों में हुईं हत्या की घटनाओं के लिए तालिबान को दोषी ठहराया है, जबकि तालिबान का आरोप है कि सरकार शांति प्रक्रिया को बाधित करने के लिए इस प्रकार की हत्याएं करा रही है।
इसी हफ्ते काबुल में मंगलवार को भी हुए अलग-अलग बम धमाकों में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने बताया कि बमों को कार से जोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि मृतकों में एक इस्लामी गैर लाभकारी संगठन का प्रमुख एक मौलवी भी शामिल था। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ घानी ने मौलवी की मौत को आतंकवादी हमला करार दिया।
इस बीच अमेरिका के एक निगरानी समूह ने 1 फरवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के हमले बढ़ गए हैं, जिनमें सरकारी अधिकारियों, नागरिक संस्थाओं के नेताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते पर पुन: गौर करने की योजना के एलान के बाद यह रिपोर्ट सामने आई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन और तालिबान ने पिछले साल फरवरी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
(भाषा इनपुट)