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''यह पहली सुबह है जब मैं आत्मघाती बम हमले में मारे जाने के डर के बिना बाहर निकला हूं'', अफगानिस्तान में हफ्तेभर का संघर्षविराम शुरू

By भाषा | Updated: February 22, 2020 15:49 IST

अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सेना का नेतृत्व कर रहे जनरल स्कॉट मिलर ने कहा कि पश्चिमी सेना "हिंसा में कमी" पर लगातार निगरानी रख रही है। अफगानिस्तान में शांति से अमेरिका का 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा। 

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ठळक मुद्देअफगानिस्तान में छिटपुट हमलों के बीच शनिवार से एक सप्ताह का आंशिक संघर्ष विराम शुरू हो गया जबकि इसका जश्न मनाने के लिये लोग सड़कों पर उतर आए। इस संघर्ष विराम को अफगानिस्तान युद्ध का एक अहम मोड़ माना जा रहा है। इससे पहले तालिबान, अमेरिका और अफगान बल हिंसा में तथाकथित कमी लाने पर सहमत हुए।

अफगानिस्तान में छिटपुट हमलों के बीच शनिवार से एक सप्ताह का आंशिक संघर्ष विराम शुरू हो गया जबकि इसका जश्न मनाने के लिये लोग सड़कों पर उतर आए। इस संघर्ष विराम को अफगानिस्तान युद्ध का एक अहम मोड़ माना जा रहा है। इससे पहले तालिबान, अमेरिका और अफगान बल हिंसा में तथाकथित कमी लाने पर सहमत हुए। 

अगर यह संघर्ष विराम बरकरार रहता है तो अफगानिस्तान में 2001 के बाद से जारी लड़ाई में यह दूसरा शांति काल होगा। काबुल में एक टैक्सी चालक हबीब-उल्ला ने कहा, ''यह पहली सुबह है जब मैं आत्मघाती बम हमले में मारे जाने के डर के बिना बाहर निकला हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि हमेशा ऐसा ही रहे।'' 

देश के अन्य हिस्सों में लोगों ने नाच कर संघर्ष विराम का स्वागत किया। अफगानिस्तान के उत्तर में बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ के निकट जिला मुख्यालय पर तालिबान लड़ाकों के हमले में दो सैनिकों की मौत हो गई। हमला मध्यरात्रि को हुआ, जब संघर्ष विराम लागू हो चुका था। वहीं मध्य उरुजगान प्रांत से भी हमले की खबर आ रही है।

अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सेना का नेतृत्व कर रहे जनरल स्कॉट मिलर ने कहा कि पश्चिमी सेना "हिंसा में कमी" पर लगातार निगरानी रख रही है। अफगानिस्तान में शांति से अमेरिका का 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा। 

बहरहाल, इसके बाद अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर प्रश्नचिह्न भी खड़ा हो सकता है। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और तालिबान ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि एक सप्ताह के संघर्ष विराम के बाद दोनों पक्ष 29 फरवरी को दोहा में एक समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार हैं। 

अफगान समझौते का आकलन मुश्किल है: विशेषज्ञ

अफागनिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के खत्म होने की सारी उम्मीदें यहां हुए हफ्ते भर के बेहद नाजुक संघर्षविराम को बरकरार रखने पर निर्भर है। इस समझौते के बारे में विशेषज्ञ‍ों का कहना है कि इसका आकलन बेहद मुश्किल है और यह चुनौतियों से भरा हुआ है। क्या हो अगर आत्मघाती जैकेट पहने कोई एक आतंकवादी काबुल के बाजार में दर्जनों को मार दे या इस्लामिक स्टेट चरमपंथियों को लक्ष्य बना कर किए गए अमेरिकी हवाई हमले में तालिबान का कोई सदस्य मारा जाए तो क्या इससे समझौता खत्म हो जाएगा?

शुक्रवार को प्रभावी इस समझौते में देश भर में सड़कों के किनारे होने वाले विस्फोट, आत्मघाती हमले और तालिबान, अफगान और अमेरिकी बलों के बीच होने वाले रॉकेट हमलों समेत तमाम अन्य हमलों को खत्म करने का आह्वान किया गया है। लेकिन 18 वर्षों से अधिक समय से हिंसा से ग्रस्त रहे देश में समझौते का उल्लंघन हुआ है या नहीं, यह निर्धारित करना मुश्किल कार्य होगा। और देश में कई समूह एवं तत्व हैं जो इस समझौते को खत्म होते देखना चाहेंगे। 

सामरिक एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र में वरिष्ठ सलाहकार और अफगान विशेषज्ञ सेठ जोन्स ने कहा, “यह चुनौती इसलिए है क्योंकि यह विकेंद्रित चरमपंथ है।” 

उन्होंने कहा, “किसी भी मिलिशिया के कमांडर, तालिबान के तत्व, हक्कानी नेटवर्क और अन्य स्थानीय बल जो इस समझौते से नाखुश हैं, उनके पास हिंसा करने के लिए बहुत से मौके हैं।’’ 

हक्कानी नेटवर्क तालिबान से जुड़ा चरमपंथी संगठन है। एक रक्षा अधिकारी के मुताबिक किसी भी हमले की समीक्षा स्थिति एवं तथ्यों के आधार पर की जाएगी। और बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी सेना एवं अफगानिस्तान में खुफिया अधिकारी कितनी जल्दी दो बातों पर फैसला लेंगे: पहला हमले के लिए कौन जिम्मेदार है और दूसरा क्या तालिबान से जुड़े किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है खासकर संगठन के नेताओं को जो वार्ता में हिस्सा ले रहे हैं। 

तालिबान ने शुक्रवार देर रात एक बयान जारी किया था कि उनकी सैन्य परिषद ने कमांडर और गवर्नरों को विदेशी एवं अफगान बलों के खिलाफ सभी हमले रोकने का निर्देश दिया है।

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