12वां विश्व हिंदी सम्मेलन: फिजी की धरती पर राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ की गूंज! 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 18, 2023 08:43 PM2023-02-18T20:43:17+5:302023-02-19T07:04:34+5:30

12th World Hindi Conference 2023: भारत की कुल आबादी के लगभग 44% शुद्ध हिंदी बोलने वाले लोग हैं, अर्थात 53 करोड़ से अधिक लोग शुद्ध हिंदी का प्रयोग करते हैं।

12th World Hindi Conference 2023 Vishwa Hindi Parishad General Secretary Dr. Vipin Kumar national poet Dinkar Fiji Hindi is language knowledge-science  | 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन: फिजी की धरती पर राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ की गूंज! 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल

फिजी में आयोजित हुआ 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन

Highlightsहिंदी-पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक था सम्मेलन का थीम12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।कुल प्रतिनिधि की संख्या लगभग 1400 थी ।

12th World Hindi Conference 2023: 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन 15-17 फरवरी के बीच फिजी में आयोजित हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश के अनेक विद्वान एवं सरकारी प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। इस दौरान विश्व हिंदी परिषद के महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने अपनी बात रखी।

उन्होंने वक्तव्य में ‘गागर में सागर’ भर दिया। वक्तव्य की शुरुआत राष्ट्रकवि दिनकर की काव्य पंक्तियों से की, जिसका उपस्थित श्रोता समूह ने तालियों से स्वागत किया। डॉ. विपिन कुमार ने हिंदी को वैश्विक धरातल पर लाने एवं उसे गर्व का विषय बनाने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों के लिए उनका धन्यवाद किया। हिंदी आज ज्ञान-विज्ञान के साथ साथ प्रौद्योगिकी की भाषा भी बन रही है।

हिंदी एवं मीडिया की वैश्विक पहुँच

डॉ. विपिन कुमार ने हिंदी एवं मीडिया की वैश्विक भूमिका पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस देश का मीडिया जितना सशक्त होगा, उस देश की भाषा एवं संस्कृति उतनी ही मजबूत होगी। 21वीं सदी भारत की है। आज से 20-25 सालों बाद हम विश्व की श्रेष्ठ अर्थव्यवस्था होंगे। हम न केवल तकनीकी दृष्टि से, बल्कि भाषा एवं संस्कृति की दृष्टि से भी सर्वकालिक महान देश होंगे।

इसमें जितना योगदान मीडिया का होगा, उतना ही योगदान भाषा का भी होगा। बोली जाने वाली भाषाओं में मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी आज विश्व के लगभग 20 से अधिक देशों में बोली जाती है, इनमें अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, यमन, यूगांडा, न्यूजीलैंड जैसे देश सम्मिलित हैं। भारत की कुल आबादी का लगभग 44% शुद्ध हिंदी बोलने वाले लोग हैं, अर्थात 53 करोड़ से अधिक लोग शुद्ध हिंदी का प्रयोग करते हैं। बंगाली, मराठी का नंबर उसके बाद आता है।

‘न्यू मीडिया’ है आज की पहचान

डॉ. विपिन कुमार ने अपने वक्तव्य में ‘न्यू मीडिया’ की सकारात्मक भूमिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हिंदी को सशक्त बनाने में न्यू मीडिया अर्थात सोशल मीडिया की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि जब हम मीडिया की बात करते हैं तो वह महज न्यूज चैनल नहीं है, वह टेलीविज़न, सिनेमा और आजकल का न्यू मीडिया भी है।

हिंदी भाषा के विकास में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। मीडिया की इस भूमिका से हिंदी वैश्विक भाषा बन चुकी है। भारत एवं भारत से बाहर हिंदी कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार में मीडिया ने महती भूमिका निभाई है। आजकल बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना उत्पाद बाजार में स्थापित करने के लिए हिंदी मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।

हिंदी में प्रचार का अर्थ है, भारत की 50% से ज्यादा जनता तक अपने उत्पाद की पहुँच बनाना। हिंदी अब बाजार की भाषा बन चुकी है। यहाँ तक कि राजभाषा हिंदी भी अपनी सीमाओं से बाहर निकलने लगी है। वह भी विकास, बाजार एवं मीडिया की भाषा बन रही है।

फ़िल्म, टीवी एवं समाचार माध्यमों ने हिंदी की शक्ति को समृद्ध करने; उसके प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका स्थापित की है। यह कहने में संकोच नहीं है कि वर्तमान युग हिंदी मीडिया का है। यह बात न केवल भारत के संदर्भ में बल्कि विश्व के संदर्भ में भी कही जा सकती है। हिंदी एवं हिंदी मीडिया का विश्व में प्रभाव बढ़ा है।

हिंदी एवं मीडिया के बीच है अन्योन्याश्रित संबंध

डॉ.विपिन कुमार ने हिंदी एवं मीडिया के बीच अन्योन्याश्रित संबंध बताया। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इस गठबंधन से विश्वकल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। जहां मीडिया भाषा निर्माण का कार्य कर रहा है वहीं भाषा मीडिया को बाजार दे रही है। इंटरनेट एवं मोबाइल से हिंदी का प्रचार प्रसार और अधिक हुआ है।

हिंदी यूनिकोड ने हिंदी को वैश्विक रूप प्रदान किया। है। गूगल ने अपना ‘सर्च इंजिन’ हिंदी में भी उपलब्ध करा दिया है। ‘न्यू मीडिया’ के माध्यम से हजारों मील दूर बैठा व्यक्ति अपनी मातृभाषा हिंदी में लिख कर अपना संदेश अपने लोगों तक पहुंच सकता है।

हिंदी है प्रवासियों की गर्व की भाषा

डॉ. विपिन कुमार ने कहा कि भारतीयों के लिए हिंदी एवं हिंदी मीडिया दोनों ने आत्मगौरव एवं आत्मविश्वास का माहौल बनाया है। हमारे प्रधानमंत्री संयुक्तराष्ट्र में हिंदी में अपना भाषण देकर उस गौरव को और बढ़ाते हैं। हर भारतीय अपनी मातृभाषा से जुड़कर सुदूर देशों में पराया  या अकेलापन महसूस नहीं करता है।

हिंदी है ज्ञान-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भाषा

विश्व हिंदी सम्मेलन में बोलते हुए डॉ विपिन कुमार ने कहा कि 21 वीं सदी ने जहाँ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संबंध में कई भाषाओं के अस्तित्व पर संकट ला खड़ा किया है; हिंदी अपनी अंतर्निहित शक्ति एवं सामर्थ्य से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भाषा बन चुकी है और आज पूरे विश्व की प्रेरणास्रोत भाषा के रूप में उभरकर सामने आई है। आज हिंदी और हिंदी मीडिया विश्व समाज एवं राजनीति दोनों को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। यह वर्तमान भारत की पहचान है।

2035 का रखा लक्ष्य

डॉ. विपिन कुमार ने विश्व हिंदी परिषद के संकल्प-2035 का लक्ष्य, 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के प्रतिनिधियों के सम्मुख रखा। उन्होंने कहा कि 2035 तक हिन्दी को विश्व भाषा बनाने का लक्ष्य है। उनका कहना है कि लॉर्ड मैकाले ने 1835 में अंग्रेजी भाषा थोपी थी, इसके मद्देनज़र रखते हुए विश्व हिंदी परिषद ने 2035 तक हिंदी को विश्व भाषा बनाने का संकल्प लिया है।

विश्व हिंदी सम्मेलन के प्रतिनिधियों में भरा जोश

अंत में, डॉ. विपिन कुमार ने राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ की निम्नलिखित पंक्तियों से अपने वक्तव्य का समापन करते हुए 2035 के लक्ष्य को पूरा करने हेतु विश्व हिंदी सम्मेलन के प्रतिनिधियों में जोश भरा-

“वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है!

थक कर बैठ गये क्या भाई, मंजिल दूर नहीं!!”

Web Title: 12th World Hindi Conference 2023 Vishwa Hindi Parishad General Secretary Dr. Vipin Kumar national poet Dinkar Fiji Hindi is language knowledge-science 

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