26 अक्टूबर को दीपावली से पहले राम नगरी अयोध्या में सरयू नदी के किनारे दीपोत्सव मनाया गया। इस मौके पर एक साथ करीब 5 लाख 51 हजार दिए जलाने का विश्व रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज हुआ। कई मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा कि इस आयोजन में यूपी सरकार ने करीब 133 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। लेकिन यह भ्रामक सूचना है। 'फेक खबरों' का पता लगाने वाली वेबसाइट Alt News ने इस खबर से जुड़ी सच्चाई की पड़ताल की है।
क्या है सच्चाई?
दरअसल, योगी सरकार ने अयोध्या के दीपोत्सव मेले को 'राज्य मेले' का दर्जा देने के प्रस्ताव पारित किया था। यानि दीपावली के एक दिन पहले 26 अक्टूबर को आयोजित होने वाले दीपोत्सव मेले का खर्च जिलाधिकारी के जरिए राज्य सरकार उठाएगी। सरकार ने 22 अक्टूबर को एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया था कि दीपोत्सव पर करीब 132 लाख (करीब 1.33 करोड़) रुपये खर्च होने का अनुमान है।
1.33 करोड़ को कई मीडिया संस्थानों ने 133 करोड़ समझ लिया और खबरें चला दी। सरकार की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया था, 'वर्ष 2019 में आयोजन पर लगभग 132.70 लाख रुपये के व्यय का अनुमान है। इस मेले के आयोजन पर होने वाले व्यय भार का वहन शासन द्वारा धनराशि की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।'
अतः स्पष्ट हो जाता है कि सरकार ने अयोध्या के दीपोत्सव मेले पर 133 करोड़ रुपये नहीं खर्च किए। सरकार ने करीब 1 करोड़ 33 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया है जिसका व्यय भार प्रदेश सरकार धनराशि की उपलब्धता के आधार पर करेगी।