WATCH: 25 की उम्र में पत्नी को लाने गए और 62 की उम्र में लौटे, 1988 में बांग्लादेश के कोमिला में ससुराल गए शाहजहां की कहानी, पढ़कर आप भी होंगे भावुक, देखें वीडियो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 22, 2024 11:27 IST2024-08-22T11:20:04+5:302024-08-22T11:27:22+5:30

Bangladesh to Tripura: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कर्मियों की मदद से श्रीमंतपुर ‘लैंड कस्टम्स’ स्टेशन के रास्ते भारत लौटे।

WATCH Bangladesh to Tripura Went bring his wife age 25 return age 62 went sasural Comilla Bangladesh in 1988 Shahjahan's story also emotional see video | WATCH: 25 की उम्र में पत्नी को लाने गए और 62 की उम्र में लौटे, 1988 में बांग्लादेश के कोमिला में ससुराल गए शाहजहां की कहानी, पढ़कर आप भी होंगे भावुक, देखें वीडियो

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HighlightsBangladesh to Tripura: कोमिला में अदालत ने 11 साल की जेल की सजा सुनायी। Bangladesh to Tripura: बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद अब घर लौटे हैं।Bangladesh to Tripura:  कुछ महीने पहले मीडिया के माध्यम से सामने आया।

Bangladesh to Tripura: त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले का रहने वाला एक व्यक्ति बरसों पहले अपने रिश्तेदार से मिलने बांग्लादेश गया था और तब उसे रत्तीभर अंदाजा नहीं था कि यह यात्रा उसकी जिंदगी का दंश बन जाएगी एवं वह भारत में अपने परिवार के पास लौटने के लिए तरस जाएगा। शाहजहां (62) बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद अब घर लौटे हैं। वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कर्मियों की मदद से श्रीमंतपुर ‘लैंड कस्टम्स’ स्टेशन के रास्ते भारत लौटे। अधिकारियों ने बताया कि सोनमुरा उपमंडल के सीमावर्ती रबींद्रनगर गांव के निवासी शाहजहां 1988 में बांग्लादेश के कोमिला में अपने ससुराल गये थे। उनके अनुसार उस दौरान वहां पुलिस ने उनके रिश्तेदार के घर पर छापा मारा एवं पड़ोसी देश में गैरकानूनी रूप से प्रवेश करने को लेकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

शाहजहां ने पत्रकारों को बताया, ‘‘25 साल की उम्र में, मुझे कोमिला में एक अदालत ने 11 साल की जेल की सजा सुनायी। सजा पूरी करने के बाद भी मुझे रिहा नहीं किया गया तथा मैंने हिरासत में 26 और साल बिताए, घर लौटने की अनुमति दिए जाने से पहले कुल मिलाकर मैंने 37 साल जेल में बिताए।’’ शाहजहां के साथ जो अन्याय हुआ, वह कुछ महीने पहले मीडिया के माध्यम से सामने आया।

शाहजहां के परिवार का कहना है कि उनकी दुर्दशा पर जारा फाउंडेशन की नजर पड़ी जो विदेशों में फंसे शरणार्थियों की मदद करता है। परिवार ने बताया कि जारा फाउंडेशन के अध्यक्ष मौशाहिद अली ने शाहजहां की रिहाई के लिए तत्काल कदम उठाए और फिर कई कानूनी प्रक्रियाओं के बाद शाहजहां को मंगलवार को श्रीमंतपुर स्टेशन पर बीएसएफ कर्मियों को सौंप दिया गया।

अब 62 वर्ष की आयु के शाहजहां उस वक्त घर से निकले थे जब वह युवा थे और उनकी पत्नी गर्भवती थी। भारत लौटने पर उनके बेटे ने पहली बार उन्हें अपने सामने देखा है। शाहजहां ने कहा, ‘‘मैं शब्दों में अपनी खुश बयां नहीं कर सकता। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं जन्नत में हूं। यह मेरे लिए पुनर्जन्म की तरह है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस जीवन में अपने जन्मस्थान पर लौट सकूंगा।

यह जारा फाउंडेशन ही है जो मुझे घर वापस लेकर आया। मैं पूरी जिंदगी इस संगठन का आभारी रहूंगा।’’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में शुरुआत के 14 दिनों में उन्होंने क्रूर अत्याचार सहा। शाहजहां ने याद किया, ‘‘कोमिला केंद्रीय कारागार में 11 साल बिताने के बाद, मुझे झूठे आरोपों में दूसरी जेलों में भेज दिया गया तथा मैंने वहां और 26 साल बिताए।’’ 

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