ट्विटर पर जाति आरक्षण को तत्काल हटाने की मांग की जा रही है। ये ट्रेंड तब से चल रहा है, जब से केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह ऐलान किया है कि वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में भर्ती के लिए जाति आधारित आरक्षण के विवादास्पद मुद्दे पर ध्यान देंगे। इसके बाद से ट्विटर पर हैशटैग #जातिआरक्षण_हटाओ_तत्काल ट्रेंड कर रहा है। इस ट्रेंड के साथ लोगों का कहना है कि जाति के नाम पर आरक्षण से देश बर्बाद हो रहा है।
एक वैरिफाइड यूजर ने कहा, अमेरिका के 35% डॉक्टर, नासा के 36% वैज्ञानिक, माइक्रोसॉफ्ट के 34% कर्मचारी, IBM के 28% कर्मचारी सभी भारतीय हैं। लेकिन फिर भी हमारा देश पिछड़ा हुआ है, क्योंकि वोटबैंक के स्वार्थी नेताओं ने वोटों के लालच के लिए प्रतिभाओं को मारकर आरक्षण को बढ़ावा दिया है।
एक यूजर ने लिखा, जातियों पर आरक्षण, समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है और धर्मनिरपेक्ष देश में नहीं होना चाहिए।
एक यूजर ने कहा है कि यह देश के सभी समस्याओं का मूल कारण है, जिसका 1909 से हिन्दू समाज सामना कर रहा है।
वहीं एक यूजर ने पीएम मोदी से पूछा है कि आप बताइए देश से आप जाति पर आरक्षण क्यों नहीं हटा रहे हैं।
इसको लेकर कुछ मीम्स भी बनाए गए हैं।
जानें आरक्षण को लेकर सरकार ने क्या दिए हैं निर्देश
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सरकार से संबंधित तकनीकी संस्थान जैसे आईआईटी, आईआईएम और आईआईएसईआर में शिक्षण पदों पर भर्ती के लिए जाति-आधारित आरक्षण नीति लागू करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में निर्देश इसी हफ्ते की शुरुआत में भेजे गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार ये संस्थान संविधान के तहत जरूरी आरक्षण के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
संविधान में प्रावधानों के अनुसार सभी सरकारी संस्थानों में अनुसूचित जातियों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देना अनिवार्य है।