'मुस्लिम राजनीतिक पार्टी का करें बायकॉट, सिर्फ NOTA दबाएं', जानिए शेहला राशिद ने मुसलमानों से क्यों की ये अपील
By पल्लवी कुमारी | Published: December 23, 2019 10:22 AM2019-12-23T10:22:57+5:302019-12-23T10:22:57+5:30
सोशल मीडिया के माध्यम से शेहला पिछले कुछ दिनों से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर नागरिकता कानून को लेकर लगातार निशाना साध रही हैं।
जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष रह चुकी शेहला राशिद हमेशा ही अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर चर्चा में रहती हैं। अपने हालिया ट्वीट में शेहला राशिद ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि वो देश के सभी राजनीतिक पार्टी को बायकॉट कर दें। शेहला राशिद ने यह अपील इसलिए की है, क्योंकि उनका मानना है कि देश के मुस्लिमों को राजनीतिक पार्टियां हल्के में लेती है। एक और शेहला राशिद ने नागरिकता (संशोधन) कानून के विरोध में यह बात कही है। शेहला नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ पिछले कुछ हफ्तों से लगातार ट्वीट कर रही है।
शेहला राशिद ने ट्वीट कर लिखा, मुसलमानों को सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करना चाहिए और आगामी चुनावों में NOTA को वोट देना चाहिए, और किसी को भी उन्हें हल्के में नहीं लेने देना चाहिए। राजनीतिक दलों को वास्तव में मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए काम करना चाहिए, बल्कि उनके लिए स्वचालित रूप से हकदार होना चाहिए।
अपने एक अन्य ट्वीट में शेहला में लिखा, जब वे (राजनीतिक पार्टियां) वोट और पार्टी दान के लिए भीख मांगने के लिए बल्लीमारान और तुर्कमान गेट जाते हैं, तो यह सांप्रदायिक नहीं होता है। जब बहुत लोगों की नागरिकता खतरे में है, जब बच्चों को पीटा जा रहा है और अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है, तो जामा मस्जिद जाना "सांप्रदायिक" है।
20 दिसंबर को मध्य दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के पास हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की भारी तैनाती के बीच हाथों में तख्तियां लिये प्रदर्शनकारियों ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ नारेबाजी करके अपना विरोध दर्ज कराया। मस्जिद में शुक्रवार की नमाज में शामिल होने के बाद बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन में शामिल हुए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है।
नागरिकता कानून क्या है?
नागरिकता कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।