महाराष्ट्र में सरकार गठन का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और आज( 25 नवंबर) को सुबह 10.30 बजे से सुनवाई शरू हो गई है। सुनवाई शुरू होने के कुछ देर बाद ही ट्विटर पर ''54 एनसीपी विधायक' (54 NCP MLAs) ट्रेंड करने लगा। तो चलित समझते हैं कि एनसीपी के 54 विधायक का पूरा माजरा क्या है,जिसका मुद्दा सप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उठा। असल में सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अजित पवार के द्वारा लिखा गया समर्थन पत्र पढ़ा गया जिसमें कहा गया है कि देवेंद्र फड़नवीस को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए। अजित पवार की चिट्ठी की तारीख 22 नंवबर है। इस चिट्ठी में 54 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। इसलिए '54 एनसीपी विधायक' ट्रेंड में आ गया। इस ट्रेंड के साथ लोगों का कहना है कि जब बीजेपी के पास बहुमत है तो इतना सियासी ड्रामा क्यों?
अजीत पवार ने चिट्ठी में कहा है कि हमारे पास 54 विधायक हैं और हम BJP को समर्थन दे रहे हैं। इसलिए हम चाहते है कि देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए बुलाया जाए। कोर्ट में राज्यपाल की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अजित पवार की चिट्ठी पेश की। चिट्ठी में दावा किया गया था कि एनसीपी के सभी 54 विधायकों ने उन्हें नेता चुना है और सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
बता दें कि शनिवार (23 नवंबर) को देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जबकि शिवसेना ने दावा किया कि शिवसेना-राकांपा- कांग्रेस गठबंधन के पास 165 विधायकों का समर्थन है और वह आसानी से विधानसभा में बहुमत साबित कर देगा। बीजेपी ने दावा किया है कि फड़नवीस के पास 170 विधायकों का समर्थन है। 288 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 145 विधायकों की जरूरत है।
जैसे ही सोशल मीडिया पर इस बात की खबर फैली की NCP के 54 विधायक बीजेपी के साथ हैं (सुप्रीम कोर्ट में दावों के अनुसार), ट्विटर पर लोग अपनी प्रतिक्रिया देने लगे।
देखें लोगों की प्रतिकिया
न्यूज 24 के टीवी पत्रकार मानक गुप्ता ने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट में NCP ने अपना आरोप क्यों नहीं दोहराया कि ‘अजित पवार ने विधायकों के दस्तखत का गलत इस्तेमाल किया’? पहले तो 54 MLAs के हस्ताक्षर की चिट्ठी को अजित का फ्रॉड बताया था।
एक यूजर ने लिखा, कांग्रेस और शिवसेना इन 54 विधायकों को प्रेरित करने के लिए व्यापार कर रहे हैं।
एक यूजर का कहना है कि पवार के परिवार में ही कोई विवाद है।